श्रीराम-चरित्र | Shreeram-Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
54 MB
कुल पष्ठ :
440
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री चिन्तामणि विनायक वैध - Chintamani vinayak vaidh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बालकांड १७
मंत्रियों से कहा |। तब सभी ने राजा के निश्चय का अनुमोदन
किया । शीघ्र ही अश्वमेध-यज्ञ की सामग्री एकत्र करने का ग्रबंध
किया गया। शरयू के तट पर एक विस्तीण यज्ञ-मंडप बना कर
यज्ञ के लिए सहस््रों मन अन्न सामग्री एकत्र की गईं। तव राजा
दशरथ ने अपनी तीनों रानियों को यज्ञ को दीक्षा लेने की आज्ञा
दी । संतान न होने से उनके मुख सर्वदा चिंतित ओर कुम्हलाए
हुए रहते थे, अतः राजा की यह् आज्ञां सुनते ही उनके मुख कमल
से खित गये। गुरु वसिष्ट ने राजा दशरथ को उनकी तीनों
रानियों सहित यज्ञ-दीक्षा दे कर यज्ञ का घोड़ा छोड़ा । वह घोड़ा
बहुत से देश घूमकर ओर उसके वापिस आने पर ऋत्विजों ने यथा
विधि उसका अग्नि को बलि दिया तथा अश्वमेध के संपृण होते
শি ९
हो ऋष्यस्टंग ने दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आरंभ ऋष्यश्वंग ने दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ का आरंभ
किया । ( बालकांड सगं ११ )
ऋष्यश्वंग को खासकर पुत्र-कामेष्ठी के लिए ही निमंत्रित
फिया था | वे राजा दशरथ के जामाता थे। उनकी कथा बड़ी
विचित्र ओर मनोरंजक है ।- वे विभाण्ठक ऋषि के पुत्र थे ओर
बचपन से उनका अपने पिता के ही निरीक्षण में प्रतिपालन हुआ
था | विभाग्डक ऋषि अपने पुत्र को पल भर भी अपनी आँखों
की ओट में नहीं जाने देते थे। इस प्रकार से उनका लालन-
'पाजन होने के कारण वे अत्यंत तेजस्वी ओर विद्वान ब्राह्मण कह-
लाने लगे । एक समय राजा दशरथ के मित्र, अंग देश के राजा,
लोमपाद के राज सें बड़ा अकाल पड़ा, जिससे सारा देश दुखित
हुआ ओर प्रजा बिना अन्न-पानी के भूखों मरने लगी | तब कई
लोगों ने राजा लोमपाद को सलाह दी कि यदि आप ऋष्यश्ृंग
User Reviews
No Reviews | Add Yours...