इलाहाबाद जनपद में हर्तिया राष्ट्रीय कांग्रेस का संगठनात्मक विकास (१९८५-१९३७) | Alahabad Janpad Mein Bhartiya Rashtriya Congress Ka Sangathnatmak Vikas (1885-1937)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)17 जन, सत्न 1875 के ˆ महाराष्ट्र <~ মিন ঈ ॐ में -
निस्सन्देह टेशमये शिक्षा काफी दूर तक फैल गयी है । परन्तु यह शिक्षा
है तर प्रकार की १ इसका प्रयैजन सिर्फ़ क्लर्क और मुंशी अर्थात्, रते मनुष्य
तैयार करना है तो नौकरी करने के पीग्य हों । पही कारण है कि देश में
नौकरी करने वालों की संख्या तो अधिक है, परन्तु उन्हें काम में लगाने के
নি नौकरियों क्म है । पटा পিতার का पाठ करने वालों की শঙঘা তী
बहुत अधिक है, परन्तु कोई ऐसा नही, जौ कि इतिहास का निर्माण करतकें ।««
এটা আতা सम्भवत: सबसे आधिक पक्षणातपूर्ण सरकार है । त्प्षेष में, किसी राजा
ने, जिसने भारत पर शातन किया है, इस देश को इतनी क्षति नहीं पहुँचाई
जितनी कि 3ग्रेज श्ात्कों ने । ?
अमृत बाजार पत्रिका “ तीखी आलोचना करने में दूत तमय के
अधिकांश पत्रों ते आगे था और तन् 1875 के शक अंक में, बड़ीदा के गापकवाड़ू
ভ্রাতা अपने दरबार में ওটা रेजिडेण्ट कन ल फापरे की दत्पा करने के क्पाकधिति
प्रपत्म पर टिप्पणी करते हुए उतने लिहि -
* भितन्देह एक ওদ্ধাতী কল কী पिष टैना, निष्कण्टक राज्य करने
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राम गोपाल, हॉऊ इॉन्डिया स्द्रगत्ड फार पीडम्, पृष्ठ 32,
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