इलाहाबाद जनपद में हर्तिया राष्ट्रीय कांग्रेस का संगठनात्मक विकास (१९८५-१९३७) | Alahabad Janpad Mein Bhartiya Rashtriya Congress Ka Sangathnatmak Vikas (1885-1937)

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Alahabad Janpad Mein Bhartiya Rashtriya Congress Ka Sangathnatmak Vikas (1885-1937) by संध्या सिंह - Sandhya Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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17 जन, सत्न 1875 के ˆ महाराष्ट्र <~ মিন ঈ ॐ में - निस्सन्देह टेशमये शिक्षा काफी दूर तक फैल गयी है । परन्तु यह शिक्षा है तर प्रकार की १ इसका प्रयैजन सिर्फ़ क्लर्क और मुंशी अर्थात्‌, रते मनुष्य तैयार करना है तो नौकरी करने के पीग्य हों । पही कारण है कि देश में नौकरी करने वालों की संख्या तो अधिक है, परन्तु उन्‍हें काम में लगाने के নি नौकरियों क्म है । पटा পিতার का पाठ करने वालों की শঙঘা তী बहुत अधिक है, परन्तु कोई ऐसा नही, जौ कि इतिहास का निर्माण करतकें ।«« এটা আতা सम्भवत: सबसे आधिक पक्षणातपूर्ण सरकार है । त्प्षेष में, किसी राजा ने, जिसने भारत पर शातन किया है, इस देश को इतनी क्षति नहीं पहुँचाई जितनी कि 3ग्रेज श्ात्कों ने । ? अमृत बाजार पत्रिका “ तीखी आलोचना करने में दूत तमय के अधिकांश पत्रों ते आगे था और तन्‌ 1875 के शक अंक में, बड़ीदा के गापकवाड़ू ভ্রাতা अपने दरबार में ওটা रेजिडेण्ट कन ल फापरे की दत्पा करने के क्पाकधिति प्रपत्म पर टिप्पणी करते हुए उतने लिहि - * भितन्देह एक ওদ্ধাতী কল কী पिष टैना, निष्कण्टक राज्य करने के निरि एके समच राष्ट्र कौ नपुंसक बना टेन की अवेक्षा एकं एटा अपराध राम गोपाल, हॉऊ इॉन्डिया स्द्रगत्ड फार पीडम्‌, पृष्ठ 32,




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