इस्लाम - धर्म की रुपरेखा | Islam Dharma Ki Roop Rekha
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.04 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुहम्मद्-जन्म दिया कि मैं कई दिन का भूखा हूँ कुड खाना मिलने की अंश से आया हूँ । इस पर अ्रमर ने अपने साथियों को आज्ञा दों कि इसको भी श्राग में डाल दों | कोमल शिशुआओ को लक्ष्य बनाकर तीर मारना असह्य पोड़ा- देने के लिये एक-एक अज्ञ को थोड़/--थोड़ा करके काटना शत्रु के मुर्दों की नाक-कान काट डालना यहाँ तक कि उनके कनेजे को खा जाना इयादि उस समय के अनेक ऋए कम उनकी चूशं लता के परिचायक थे । सुहम्मद्-जन्म ऐसे अन्धकार के समग्र अरब के प्रधान नगर बक्का मक्का? में अब्दुल्मतल्लब के पुत्र अब्दुलाह की भायां मना के गर्भ से स्वनामघन्य महात्मा मुद्रम्मद ६१७ विक्रम सम्बतू में उत्पन्न छुए । इनका बश हाशिम वश के नाम से प्रसिद्ध था । जब भी यह गे हो में थे कि इनके पिता स्वर्गवासी हुए । माता और पितामद्द का वालेक पर असाधारण स्नेह था । एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमनेवाले बदूदू लोगों की खितों को पालने के लिये अपने वच्चा को दे देना मक्का के नागरिकों को प्रथा थो | एक समय साद वश का एक वढूदू स्त्रो हलामा सका में राई । उसको कोई और बच्चा नहीं मिला था जिससे जब घनहोन झामना ने श्पने पुत्र को सौपने को कहा तो उसने यह समसं कर रंवीकार कर लिया फि खालो हाथ जाने से जो दी कुछ पतले पड़ जाय वद्दी अच्छा । हलोमा ने एक सास के शिशु मुहम्मद को लेकर अपने डेरे को प्रस्थान किया । इस प्रकार १उदद के युद्द में दिल््द नामक स्त्री ने इमूजा सर सुदम्पर के सहायक के कजेजे को काटकर खाया था ।
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