राजा रानी | Raja Rani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey
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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला श्रद्ट
इन झेठों की हसी, रूप-रमझीयता
भ्रीर कान्ति कमनीय पान करना वर्ह--
हृदय पमार खडा । दिवस-अ्रानंक के
तट से आश्रे। निकट, उतर झाओ। प्रिय!
यह अथाह है हृदय, जिस तरह रात का
सागर हे । तुम चरग-कमनत रस्कर यहाँ
भ्रनना, बेठा ।--कहाँ रही श्रव तक प्रिय?
सुमि०--रखिए यह विश्वास सदा हूँ श्रापकी |
घर मे रहत कामकाज, उनम नगी
रहती हूँ में। घर भी ता है झ्ापका,
ओर काम भी नाथ ।
विक ०- प्रिय, सब छोड दा ।
घर या घर का काम नहीं कुछ काम का।
तुम बाहर की नहीं, दय कौ वम्तुहा
भीतर हैं घर, और तुम्हारा घर नहीं ।
चाहर कं मब काम पड़ बाहर रहं--
भख मार |
सुमि०- क्या मन में ही हूँ आपके ?
नदी नाथ, यह वही, भ्ठ यह बात हे |
बाहर से भी ई मदैव सैं आपकी |
भीतर द प्रेयसी, भेर बाहर बद्दी रानी।
विक्र०--दा, प्रियतमे, आज स्यां खप्र मा
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