केन | Ken
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)উন १३.
धीरज ने कहा-- “चले जाओी। में धर में कह
दंगा ।
हरिदास स्नान फरफे चक्ता णया । भीरज सी ढ़ेयाँ
तय करके ऊपर पहुँचा । नदी-तट पर बेदी हुईं
बालिफा ने एक बार कंधे पर से कॉककर पीछे देखा;
पर यह लक्ष्य करके कि युवक ने उसे देख लिया ই,
वट तुरंत मस्तक नत करके कली मॉजने लगी |
सूप क्षितिज से बहुत उपर च आया भा । कसषी
मॉजकर ओर मुंह धोकर बालिका अपने छोटे अतीजे
के लिये तट पर के रंगीन ओर श्वेत प्रध्तर-खंड़ बीन 1
बेड गई। इसी समय एक अश्यारोही सेनिक अपने
अश्व को पानी पिलाने के उद्देश्य से राजपथ से नीचे
सतरफर नदी के किनारे-किनारे चलने सगा। খাজে
उसे देखकर सीढ़ी पर ही ठिठक गया था। सैनिक
धोड़े को णेकर नदी में उतरा | धीरज आगे बढ़कर
वहाँ खड़ा हो गया, जहाँ से घढ़ उतरा था, और एक-
एक होकर उसे घूरने लगा ।
सेनि ने घोडे को पानी पिलाया । | तदुपरांत वह
अपने से थोड़ी दूर पर बेटी बालिका के निकट पहुँच-
कर बोला-- तुम इसी गाँव में रहती हो 1!
बालिका ने मध्तक ऊपर उदाकर कंहा--- हाँ |”
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