आत्मबोध मार्तएड | Atmbodh Martand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
914 KB
कुल पष्ठ :
48
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ 3)
ऐसी उत्तम सिद्ध आत्मा, समझ रमश मे मिटे कलंक |
झनुभव करलेवे जगवासी, कट फाँंस अरू बने मर्त ॥
दोहा
ग्लत्रय मय जगत टे, शक्ति व्यक्ति का भद।
जवं तक्र जी समै नहा, पावत टे कह खेद )॥३॥
रतत्रय पाय घिना, ना स्ह फनी सिद्ध ।
याते रलत्रय लट), कणे क्रमे से युद्ध ॥४॥
निज श्रद्धा सस्यकत्त है, निज जाने संज्ञान |
निज मंपति में थिर रहें, सच्चागित्रि ववान ॥५४॥
आपा परसों भिन्न लग्वि, परको दे छिटकाय ।
सम्यग्दशन ज्ञान व्रत, का यह ठीक उपाय ।६॥
॥ सम्यरदशंन का स्वरूप ॥
पद्धरी छन्द
अनंतानुबंधि मिथ्यात्व जान, इससे होवे सम्यक्त्व ज्ञान !
इनकी उपशम या नाश होय, अर मिश्र सहित ये तीन होय ॥
इस विधिम सम्यकूउदय जान्, याको निज श्रद्धान मान |
।॥ मम्यम््ञान क्ल स्वरुप ॥
यह जीव तत्व का निज स्वरूप, पहिचान सम्यग्न्रानि भूष (८;
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[ ५ | छयोपशम |
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