निराला की साहित्य साधना खंड - 2 | Nirala Ki Sahitya Sadhna Khand-2

Nirala Ki Sahitya Sadhna Khand-2 by रामविलास शर्मा - Ramvilas Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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से मानो जड़ प्रकृति में स्पंदन हुआ हो ! इनके विपरीत सिराला का मत यह था, “भारतवरप अंग्रेजों की सा म्राज्य- लालसा का सर्वप्रधान ध्येय रहां है। यहाँ की सभ्यता और संस्कृति भंग्रेज़ों की सम्यता और संस्कृति से वहुत कम मेल खाती थी, पर सात समुद्र पार से आकर इतने विस्तृत और इतने सभ्य देवा मे राज्य करना जिन अंग्रेजों को अभीष्ट था, वे विना अपनी कूटनीति का प्रयोग किए कँसे रह सकते थे ? अंग्रेजों की नीति हुई- --भारत के इतिहास को विकृत कर दो और हो सके तो उसकी भाषा को मिटा दो । चेष्टाएँ की जाने लगीं । भारतीय सभ्यता और संस्कृति तुलना में नीची दिखाई जाने लगी । हमारी भाषाएँ गँवारू, असाहित्यिक और अविकसित बताई जाने लगी । हमारा प्राचीन इतिहास अंघकार में डाल दिया गया । बाकायदा अंग्रेज़ी की पढ़ाई होने लगी । इस देग का झताद्दियों से अंधकार मे पड़ा हुआ जन- समाज समझने लगा कि जो कुछ है, अंग्रेज़ी सभ्यत्ता है, अंग्रेज़ी साहित्य है, और मंत्रेज़ हूं ।” ('सुघा', जून '३० ; संपा. टि.--६) निराला ने भारत में अंग्रेजों की सांस्कृतिक नीति को उनकी साम्राज्यवादी राजनीति से अलग करके नहीं देखा; उन्होंने इस तथ्य की ओर संवेत किया कि अंग्रेजों की सास्राज्य-लालसा को तुष्ट करने का साधन उनकी सांस्कृतिक नीति है । इतिहास को विकृत करना, भारतवासियों में अपनी सभ्यता के प्रति नीनभाव पैदा करना, भारतीय भाषाओं को गँवारू और अविकसित बत्ताना--उनकी पांस्कृतिक नीति के मूल सूत्र थे । किसका दृष्टिकोण सही है--अंग्रेज़ों की प्रगतिणीलता को सराहने वाले वुद्धिजी वियों का या निराला जैसे साहित्यकारों का ? साम्रांज्यवाद से जहाँ वन पड़ा, उसने न केवल भापाओों का, वरन्‌ उन्हें वोलने वाली जातियों का भी नाश किया । अमरीकी महाद्वीपों में अज्तेक और इंका जनों की सम्यताएँ अत्यन्त विकसित थी । अब वहाँ उनके ध्वंसावदोप ही रह गए हैं । रेड इंडियन जनों से उनकी भूमि छीन ली गई; अमरीकी विद्वविद्यालयों में उनकी भायाएं शिक्षा का माध्यम नही हैं। अमरीकी नीग्रो अंग्रेजी वोलते हैं, उनके पुरखे कौन-सी भाषा वोलते थे, वे यह भी नही जानते । दक्षिणी अफ्रीको, रोडेदिया, भास्ट्रेलिया, न्यूज़ीलेंड --जहाँ भी साम्राज्यवादियों से वन पड़ा, उन्होंने गुलाम वनाए हुए देशों के मूल निवासियों का नाव किया, उनकी भाषाओं और सस्कृतियों का दमन किया । निराला का दृष्टिकोण सही था; अंग्रेजों की प्रगतिशवीलता को सराहने वाले वुद्धिजीवियों का दृष्टिकोण गलत है । भारत की भाषाएँ बची रहीं, उनमे नया साहित्य रचा गया, इसका कारण यह है कि भारतवासी अपनी स्वाधीनता के लिए लड़े । सन्‌ २० में यह लड़ाई शुरू नहीं होती; सन्‌ '२० में केवल उसका एक नया दौर शुरू होता है। यह लड़ाई पुरी ही हो सकती जब तक कि साम्राज्यवाद की राजनीति और आधिक नीति के साथ उसकी सांस्कृतिक नीति का भी पूरी तरह विरोध न किया जाए । निराला ने अंग्रेज़ी राज और भारतीय जनता / १९




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