भारतीय वाङ्मय के अमर रत्न | Bhartiya Vadmay Ke Amar Ratna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ग्रथम अध्याय
मारत मे वाङ्मय क प्रथम विकास
१ वेद
न्न केक्त भारतवर्ष प्रत्युत संसार भर में पहले-फ्हल
मनुष्य को प्रतिभा জিল নাজনঘা ন্ট रूप में पुष्पित हुई उल्तमें
प्रमुख हमारा वेद है । वेद आज हमें संहिताओं अर्थात् संकलनों
के रूप में मिलता है । संहिताएँ महाभारत युद्ध के समकांलीन
कृष्ण हपायन मुनि ने की थीं, जिस कारण उनका उपनाम वेद-
ज्यास--अथोत् वेदों कां वर्गीकरण करने वाला--हो गया। महा-
भारत-युद्ध का समय हम अनेक प्रासाणिक विद्वानों का अनुसरण
करते हुए-१४२४ ६० पू० मान सकते है । हमारी प्राचीन अनुश्रति
-से पता चलता दै ¢ कृष्ण देपायन पले संहिताकार न थे; संहि- .
বাই बनाने का काय उनसे प्रायः वीस पीढ़ी--लगभग साढ़े तीन
- सो वरस--पहले से (अर्थात् अंदाजन १७७५ ई० पू० से) शुरू हो
: चुक्रा था | बेंदिक बाइसय त्रयी कहलाता है । उस গ্থী से ऋक्
পে
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