साहित्य - सोपान भाग - २ | Sahitya Sopan Bhag - 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हितीय भाग
१-प्रभ-प्राथ ना
जय जय जय ज्ञगदीश ! दीन जन के रखवारे ।
जय जय ऋरुणा-सिन्धचु परम पिय पिना हमारे ॥
जय अनाथ के नाथ ! हाथ गहि राखन इरे,
जय निधन के घन लिबल के बल अति प्यारे ॥
जय जयति सदर्शन-चक्रतर, सकतल भक्त-भमव्-सय-हरण ।
ज्य दान-दयाल दयानिधे, रमा-रमण, शशरण-णरण ॥ १॥
तव महिमा, रे महामद्िमि ! नहि जाय बखानी)
सेल श्नाग्दाश्मादि धके, सुर पुनि ऋषि ज्ञानी ॥
* नेति नेति ` कह वेद्, मेद् ककु जात न जान्यो ।
द्मगम, श्रगाचर, पध्यज़र, श्रकथ, सत दिधि सों मान्या॥
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