स्त्री रोग चिकित्सा दर्शन | Setri Rog Chikitsa Darshan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : स्त्री रोग चिकित्सा दर्शन  - Setri Rog Chikitsa Darshan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नारायणदास - Narayandas

Add Infomation AboutNarayandas

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
स्पीरागयचिफिस्सादूशप 5३ | लिए एएएए एएएएशीएएएिििीिए दस ायनानरनरदनवदानपपनननन थी दे पु ्‌ उत्तेजता थी बढ़ी रहती है इससे जलन कांरक बीसां- | रियां दे कारण संयक्त होने दे उन के जलन कारक | दीसारियां ज़्यादा सताती हैं झार उन अंगां से वां उन || गा की शक्ति से घरधिक वास लेने से उन की उत्तेज- | ता जाती रहती श्ार उन की ताकत कस हो जाती है | घ्त्ौर उन के कामों में फक पड़ जाता है जिस से अर २ | चातक वीसारियां पैदा हाती हैं जैसे दरज़ी का हाजुमा | चड़ीसाज़ की श्ांखें और पत्थर के कास करने वालें। की | चछाती दिगड़ी रहती है । इसी तरह भर २ पेशे वालों व्दो भी किसी न किसी बात की शिकायत रहती है। | ॥ भोग लबिलास लियाह पबिषयि ॥ भोग बिलास में हरदस सरन रहने से भी तन्दरूस्ती सें बाघा पढ़ती है। देखो कि जा असीर कहलाते है और जिन का रात दिन भोग बिलास सें हीं बीतता है उन्हे कभी किसी ले न सुना होगा कि एक दिन भी अच्छे रहते हैं । प्रति दिन झऋषिक सास भोजन करने से शरीर | सें रच्ठ बढ़. जाता है जा जलन कारक वीवारियां को योर अधिक स्पकाए रहता है विशेष कर उस झदवस्था में | जब कि खाने वाला खाने के सताबिक् परिश्न्स न कर- | ता हे और जिन का घ्पाहार केवल साग पातही है भर | चिकनी चीज नहीं. उन का रक्त मासझहारियां की न | पेक्षा कमजार हा जाता है जिस से . निबठता उत्पन्न | होती है जा फोड़े फंसी .घ्पौर मग्ज की बीमारियां के | । पैदा करती हैं.। कम. और कत्सित झथोतू खराब भजन | ही हल दी 5? का पक १४ 87 थक |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now