मारवाड़ रा परगनां री विगत द्वितीय भाग | Marvad Ra Pargana Ri Vigan Dwitiya Bhaag

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ मारवाड रा परगना री विगत थी विरसहुवौ 1 तरै गाडा ₹৬০ भ्रापराले फठोधी प्राया। चोहटा बीच जाछ छी तठ हिमे सहर बसी छे, तठे आय बसीयी । নং হান सूजा नु लिष ने घणी दिलासा दे वासीयी । ° नरौ श्राप वसीयौ तिण दिन लड बोहोत वेरानग्सु नरा रौ मन दिकं नही ।* ने पोहोकरण तद पोहोकरणा जगमाल सालावत रा पोतरा रावत पीवौ वरजागोत रं हती, तरै नरे पोहोकरण लेण रौ विचार कीयौ। सु पौहोकरण र कोट री पीठ कीवाड़ तदन था।* चु नरौ घात जोव छ 1 सेसू लगाय मेलीया छै । इण पोहोकरणा रे घणो जाबताई को न छे । एक दिन षीवो लुको तीवाछा षाण नु उधारास गाव छै तठ गयौ 1 वारौ हुवा' नरा नु घबर दी | तरे असवार २०० सु दौडीयो सु जाय पोहोकरण रो कोट लीयौ । आपरी झ्राणदाण फेरी । बिचे लुका नु षबर हुई । काहाव कथीना” कराया । नरे कहायौ--कोई गढ लीयां पाछौ दे छे ? तरे षीवो लुको बाहड़मेर कोटडा दिसी गयो । बिगाड़ करण लागी ॥ नरे ही कोट नुं पौछ रे कीवाड कराया । गढ नु सजीयी ने मरी राव सातल रे षोछे थौ सु सातल रे नांवे सातसमेर नवौ गढ उठे बसायौ छे । ३. षीयौ लुको घणौ साथ भेो कर प्रायो । सातलमेर री उद्धरती° गाय लीवी । नरौ वांसौ से ताती बाहर नादणहाई कन्द श्रापड़ीयौ 1 बेढ हुई, तठे नरौ काम श्रायौ 1 पोहकरे बेढ जीती । नरा र साथगढ मालीयौ नँ राव सूजानु षबर मेली। जोधपुर सु सूजौ घणा साथ सु ्रायौ। नरारे बेर बाहडमेर कोटडौ षारी बावडी, नोबेले° मास्या छा, पोहकरण श्राया । হান गोइद नरा राब्ेटानु पोहूकरण दी । गोईद बडौ श्राषाडसिघः* रजपूत हु वौ । घणा पोहूकरणा मारीया १, षाबड । २, चीबलो । চে 1, सनमसुटाव होगया । 2 बसाया। 3. वीरान । 5. मुख्यद्वार के कपाठ नही थे। 6 घात लयाए हुए है। ৭. जासूस। 8, पीछे लगे हुए लोगो ने । 9. कहा सुनी । 10. चरने के लिए बाहर जाती हृई। 71. तेजी से पीछा कर के । 32* হু प्रवीण, वीर । 4 सन नही लगता ॥




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