नई तालीम | Nai Talim
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
211
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाल शिक्षा को कुछ प्रायमिक बातें
२०१
खाओ बढतो जाती है ओर फ़िर अुसका कोओ
झिलाज करना वहुत हो कठिन हो जाता है ।
अक्सर अच्छे पढे लिखे समझदार और जिम्मेदार
माता पिता भी बालकों के व्यवहार में जिस
प्रकार की भूले वर बैठते हूँ ।॥ जिन भूलो का
बहुन ही कंडुमा फल बुन्हे भोगना पडता है
ओर दोनों तरफ से गाठ बु जैसी मजबूत
होती जाती हू कि फिर ओुन्हे वाटना बहुत ही
कठिन हो जाता है । नलिसलिये वच्चे क साय
व्यवहार करते समय हमेशा बहुत सावधानी
बरतने को जरूरत है । वचपन में हम बच्चे को
जितना विवासत गे, मुतना ही वडेपन में वह्
दूसरों का विश्वासपात्र बन सकेगा और असके
व्यवहार में मुतनी ही शुद्धत रहेगो। आज
समाज में परस्पर विश्वास की जो कमी
पायी जातो है भुसकी जड़ में बचपन में पैदा
हुआ यह अविश्वास ही वड़ो हद तक काम
बरता है । दुनिया तो विश्वास से ही चलती
है । धालक का অন্ন भी विश्वास के भरोसे हो
होता है। भुसका जीवन भी विश्वास पर ही
आगे बढता है। पर जब अपने मा-वाप से ही
भुगे अविश्वाम पभिलता है तो वह परेशान हो
जाता है। नतीजा यह होता है कि चुसके
व्यवद्वार में जिंह को जगह मिल जाती है, वह
हठी बनता है, क्षयडालू बनता है, रो-रो कर
ओर झगइ-झगड कर या दूसरी तरह के अपद्रव
অই करके भी वह घर के बडो से अपने मन
का वणम कराने को तरकीवें सोचता रहता है
ओर समय-समय पर जुन _तरकीयो के अनुसार
লাম भो करता रहता है । जय अगे सीधी तरह
से और सहज भाव से विश्वास नही मिलता तो
बह टेढे-मेडे रास्ते अपना कर घर के लोगो को
हैरान-परेशान करता है और खुद भी हैरान होता
हैं। थिसलिये यह बहुत जस्रो है कि हम जिस
मामले में सूब चौकन्ने रहे ओर जान बूझ कर
असा कोभ काम न करें, जिससे बालक में
हमारी वात पर से भरोसा युठ जाय ।
२ बालक फो भय और लालच से बचा्ियें-
आज के हमारे समाज में भय ओर लालच
को चलते सिवके वा रुप प्राप्त हो गया है|
आम तौर पर लोग यह मानते हे कि किसी से
कोओ काम कराना हो तो या तो डरा कर
कराया जा सकाता है या छारूच दे वर । बिना
डराये या या गिना ललचाये प्रेम-प्रीति के
रास्ते झिसी से कोओ काम कराने की बात
पर आज आम तौर पर भरोसा नही रहा
है । अिसलिये क्या घर में और क्या घर के
बाहर समाज में तथा राज में हम अकसर अपने
छोटे बडे काम निकालने के लिये भव और
लालच के हथियारा से हो काम छेते है জিন
तरह भय और लाछच को दावित में जो भेक
যতর विश्वास हमारे अदर पैदा हो गया है,
अआसऊा प्रयोग हम बच्चों पर भी करते रहते
है। नतीजा यह हुआ है कि बच्चो को डराने और
लखचाने के कथो तरीके इम ने सोन लिये ह
ओर हम रामबाण हथियार की तरह मुनका
पूरे विश्वास के साथ अुपयोग करते है । लेकिन
जानकारा का कहना है कि असा करके हम
बड़ी यलती करते हैं और खास कर बच्चों को
गहरा नुकसान पहुचाते है । हमने मान लिया है
कि बिना डराये और विना छलचाये बच्चे
हमारी बात सुरमेंगे नही ओर हमारा कहा करेगे
नही । डर का सब से बडा साधन मार पीट
है । मारने पीटने का डर दिखा दिसा कर हम
अपना मर्जी का काम बच्चो से करा तो लेते हैं ।
छेक्नि बच्चो के मन पर और अनके जीवन पर
अुसका बहुत ही बुरा असर होता है। विचार-
६
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