उसका क्या होगा | Uska Kya Hoga
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसका क्या होगा. 15
पर उछाल-उछाल वर इतने मोती वरसा रही है कि उस पार के दृश्य
दिखाई हो नही द रह है । इद्ध हार और मोतियों की लडिया, स्वयही स्वय
कैश्युमारमे रत सरिता महारानी गीत सगीत म वेसुध हुई, बेसुध करती
जा रही थी ।
प्रात वाल उनकी एकल सेना ने रावत भाटा से कूच किया । हाडौती
के सख्त पठार को कामस चरणो से रादत, वृक्षो के झुरमुट मे विकली पग-
खण्डी पर उछलत्-कू-त, अपनो देखी हुई फिल्मों के गीत गुनगुनाते चले
जा रहे थे | पेट भी खाली था, तो दिमाग भी खाली था, वसे ही पगडण्डी
पर न जानवर था न इसान, परप्ी जरूर थे। रास्ता भी पूछा तो क्सिसे,
भगवान भरोमे आगे बढे चले जा रहे थ। पठार के छोर पर कुछ लठेत
बैठे मिल गये । मस्ती के' जालम मे उन्ही से रास्ता पूछा | उहोने पहले तो
भपनं साय दम लगनि का प्रस्ताव रखा, वाद मे रास्ता वताया ।
ढाल उतर कर उन्होंने दो किलोमीटर कीचड से लोहा लेते हुए गाव में
आकर विजय-दुन्द भी वजायी।
स्कूल म अच्छा स्वागत हुभा । चाय-पानी, दूध, भोजन की मनुहारो
घर मनुहारें हुई, सबने भोजन करने का वादा लिया। चाज की बाते हुईं,
जिसे कल पर छाडकर समय समाप्ति पर उठ गये ।
रात काली थी ही, बादलां ने इसका रग और गहरा कर टिया।
बाहर निकलो तो की चड, भीतर रही तो अकैलापन 1 जाओ तो जाओ कहा--
'जगल स॑ आती हुई हिंसक पशुओ की आवाजो ने ओर दिल म सुने हुए इस
क्षेत्र 4' चोर डाकुओ के किस्सो ने हालत खराब करदी । नीद भी कही नींद
निकालने लग गई, प्रतीक्षा ही करते रह गये।
सुबह उतके दिमाग में एक हो विचार था--इधर नही रहना। वहा
का खाना पीना भी गले नही उतरा । हाजरी मे दस्तखत किये और जेल से
फरार कंदी की সাম निकले । न पद्रह स्पये के राह खर्च की विता
की, न सोलह किलोमीटर पवत और कीचड रादने की फिकर की ।
घर जान के बजाय चित्तोड ही रुक कर साहब से मिलना उन्होंने
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