उसका क्या होगा | Uska Kya Hoga

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Uska Kya Hoga by भगवती लाल शर्मा - Bhagvati Lal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उसका क्या होगा. 15 पर उछाल-उछाल वर इतने मोती वरसा रही है कि उस पार के दृश्य दिखाई हो नही द रह है । इद्ध हार और मोतियों की लडिया, स्वयही स्वय कैश्युमारमे रत सरिता महारानी गीत सगीत म वेसुध हुई, बेसुध करती जा रही थी । प्रात वाल उनकी एकल सेना ने रावत भाटा से कूच किया । हाडौती के सख्त पठार को कामस चरणो से रादत, वृक्षो के झुरमुट मे विकली पग- खण्डी पर उछलत्‌-कू-त, अपनो देखी हुई फिल्‍मों के गीत गुनगुनाते चले जा रहे थे | पेट भी खाली था, तो दिमाग भी खाली था, वसे ही पगडण्डी पर न जानवर था न इसान, परप्ी जरूर थे। रास्ता भी पूछा तो क्सिसे, भगवान भरोमे आगे बढे चले जा रहे थ। पठार के छोर पर कुछ लठेत बैठे मिल गये । मस्ती के' जालम मे उन्ही से रास्ता पूछा | उहोने पहले तो भपनं साय दम लगनि का प्रस्ताव रखा, वाद मे रास्ता वताया । ढाल उतर कर उन्होंने दो किलोमीटर कीचड से लोहा लेते हुए गाव में आकर विजय-दुन्द भी वजायी। स्कूल म अच्छा स्वागत हुभा । चाय-पानी, दूध, भोजन की मनुहारो घर मनुहारें हुई, सबने भोजन करने का वादा लिया। चाज की बाते हुईं, जिसे कल पर छाडकर समय समाप्ति पर उठ गये । रात काली थी ही, बादलां ने इसका रग और गहरा कर टिया। बाहर निकलो तो की चड, भीतर रही तो अकैलापन 1 जाओ तो जाओ कहा-- 'जगल स॑ आती हुई हिंसक पशुओ की आवाजो ने ओर दिल म सुने हुए इस क्षेत्र 4' चोर डाकुओ के किस्सो ने हालत खराब करदी । नीद भी कही नींद निकालने लग गई, प्रतीक्षा ही करते रह गये। सुबह उतके दिमाग में एक हो विचार था--इधर नही रहना। वहा का खाना पीना भी गले नही उतरा । हाजरी मे दस्तखत किये और जेल से फरार कंदी की সাম निकले । न पद्रह स्पये के राह खर्च की विता की, न सोलह किलोमीटर पवत और कीचड रादने की फिकर की । घर जान के बजाय चित्तोड ही रुक कर साहब से मिलना उन्होंने




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