बौद्ध संस्कृति का इतिहास | Bauddh Sanskriti Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
414
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५)
मंगेनान महावीर के माता-पिता भौ उन्ही अनुपायियों में से ये ।४ उत्तराष्ययन
का केशी गौतम संवाद तो प्रसिद्ध ही है 1
अमबानु पाशवताथ भौर महावीर के वीच लगभग २४ ०वर्ष का झन्तर था ।
इस बोच ज॑न संघ में म्राचार रथिल्य घर कर गया । भंगंवान महावीर ने इसके
भूल कार्या फे गम्मीरता पूर्वक विचार किया भौर प्राया कि मसवाद पास्यंनाथ
ने वहिर्धा के भ्नन्तर्गत परिग्रह और छोसेवव इन दोनों का पश्वत्तर्भाव कर दिया
है । महावीर ते उन दोनों को पृषर्ककर बरतो मे-भौर भी सपहता ला दी । दंत
प्रकार महावीर के भरतुसार पश्चयाम हो गये ॥**
अ. पाश्वताव के चातुर्धाभ और भ. महावीरके पंचयाम से पिंपिटक
भो अ्रपरिचित नहीं रहा | भ बुद्ध के प्रश्तों के उत्तर में प्रसिवन््धकंपुत्तगामरिण
में कहा कि निगरटनातपुत चार प्रकारकेप्रापीः कौनिन्शा करै है--पीण
प्रतिपतिति (प्राशिवध), भ्रदिननं श्रादियति (बौरय), कामेसु मिच्छाबरति (मंम)
पौर भूसा भराति (भृषावाद)* । यहाँ ये चार प्रकार भूल से महावीरके कह दिये
गये है । वस्तुतः हैं ये पःश्वेनाथ के | महावीर के भ्रनुसार पापाश्नव के पौव
कारण ये है ।*
१, पाणातिप्राति होति। २, प्राविन््तादाबयी होति, ३, भन्नक्नवारी होति,
४. मुसाबादी होति, श्रौर ५, सु रामेरयमज्जप्पमादद्वायी होति।
यहाँ गणना कै ग्रनुसार पाँच कारण ठोक हैं, परमसु क्रमहीनता के प्रति-
रिक्त प्रिग्रह का हपष्ट उल्लेख नहीं हो सका । परिग्रह के स्थान पर घुरामेरम-
मज्जप्पमाददूखान को स्थन दे दिया गया । दस उल्लेख से इतना तौ ष्ट हं
हो किनबुद्ध चातुर्णाम भ्रौर पञ्चमाम इन दोनो प्रकार के धर्मों से परिचित थे |
संभव है यह सब महावीर द्वारा किये गये परिवर्तन के श्रासपास से सम्बद्ध हो
झौर भ्रधिक परिचय न होने के कारण यह भूल हुई हो । অথবা নত भी संभव
है कि चूँकि जैन मद्य स्ांसादिक सेवन का अत्यन्त विरोध करते हैं इसलिए वही
जातं संगायन करते समय स्पृति-पष मे बनी रहौ हौ \
२८, महावीरस्स प्रम्मा पियरो पासावच्रिज, आका. २, १५-१५
२६, उत्तरा, বা प्रध्ययन
३५, स्मवायांग, ५.२
३१, संग्ुत्त, भाग ४ पृ ३१७-८
३२. भुर, भाग ३, पृ, २७६-७
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