मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास | History Of Mediaeval Rajasthan

History Of Mediaeval Rajasthan by डॉ भार्गव - Dr. Bhargava

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह राजस्थान की भौगोलिक स्थिति का उसके इतिहास पर प्रमाव (ए९०्टा8फुषाएा1 िस्‍8६पा65 ए इर8]95वी897 8ऐ पट एट्ाधाए णा 115 5६019) भारतीप्र गणतन्त्र का पश्चिमी भाग स्वतन्त्रता से पूर्व राजपूताना एवं 1950 के बाद राजस्थान के नाम से पुकारा जाता है । श्रग्रेजी शासनकाल मे इसे राजपुताना इन गण इसलिए कहकर पुकारा जाता था क्योंकि इस प्रार्त में झधिकतर राजपूत राजा शासन अं ड् दि हा 0. करते थे । विभिन्न देशी राज्यों के विलिनी- 1829 मे ढॉड ने पुकारा था करण के बाद यह भू-भाग राजस्थान के नाम 0. से पुकारा जाता है। इस भू-भाग के लिए राजस्थान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कर्नेल जेम्स टॉड' ने 1829 में किया था जब उन्होंने श्रपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक ' एनाल्स एड ऐ टिक्वीज श्रॉफ राजस्थान (2.07815 धाएँ त1तुघध&5 0 पि8]45100820)7 लिखी 1 भूगर्भचेत्ताप्ो * का ख्याल है कि रामायणकाल से पहले यह प्रदेश समुद्री जल से ढ़का हुद्रा था. लेकिन महाभारतकाल मे इस प्रदेश का उत्तरी भाग, जो झ्रब नागौर श्र बीकानेर के नाम से प्रसिद्ध है, जगल देश कहलाता था श्रौर पूर्वी भाग जिसे इस समय हम अलवर,भरतपुर कहकर पुरारते हैं, मत्स्य देश कहलाता था ।* इस प्रदेश पर तृतीय मौर्य सम्राट प्रियदर्शी श्रशोक का भी विकार रहा था। लत्पश्चात्‌ जव यूनानी श्रौर शक जाति के लोगो का भारत पर प्रमाव बढ़ा तो यह नाना 0. प्रदेश भी विदेशियों के प्धघिकार में चला गया । सातरवों शताब्दी के पर्व | चौथी शताब्दी के श्रस्तिम भाग से छठी शताब्दी राजस्थान का इतिहास के श्रन्त तक गुप्त सम्राटों का इस प्रदेश फे कई ०ाएाणण० भागों पर शझ्धिकार रहा । सातवी शताब्दी में जब हषवर्घत भारत पर राज्य कर रहा था उस समय चीनी याथी ध्वजच्याग भारत (दायर हल कद -लागेकद:. लक. वाागिक, पे 1 देखिये जेम्स टॉड कृत एनाल्स एन्ड ऐ टिक्वीज श्राफ राजस्थान, भाग 1 पृष्ठ 1 (1829 का सस्करण) । इससे पहले यद् प्रदेश कभी भी इस नाम से अथवा किसी ऐसे हो एक नाम से प्रसिद्ध नद्टी रहा है । 2 चूकि राजस्थान में सीप, शख, कौड़ी इत्यादि सामुद्रिक पदार्थ पाये जाते हैं, परत भुगभवेत्ता यह मानते हैं कि यह प्रदेश समुद्र जल से ढका हुम्रा था 1 3 देखिये महाभारत (नव पर्व) श्रध्याय 23, ब्लॉक 5 तथा नागरी प्रचारिणी पत्रिका ।




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