शिक्षा के नये उभरते क्षितिज | Shiksha Ke Naye Ubharte Kshitij

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Shiksha Ke Naye Ubharte Kshitij by जमनालाल वायती - Jamanalal Vayati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(7) बाई सजनशील बच्चे, जल्दी सोच ब्रिचार वर वाय प्ारम्म नहीं कर सकते, ठीक यही स्थिति कई बार शिक्षकों की भी हाती है। वई सजनशील शिक्षकों कया उनके साथिया प्रधानाध्यापक सं तातमव नदी बस्ता, वे उनवे लिए सिरटद वने रहते हैं । कई श्रथानाध्यापव परम्परागत तरीका से सोचने विचारे वाते शिक्षक ही पसद करते हैं पर राष्ट्रीय हि। का ध्यान रसत हुए सजनशील श्िदाबौ वै विकास को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए 1 विद्यालय बालों म सजनात्मकता के विकास मे निम्न प्रकार से सहायक हो सकता है -- सुझ्नाव पेटो मये विवार का प्रोत्साहन दनेके लिए सुकाव पटी भी एक भ्रच्या एव उपयोगी माध्यम है। क्र “यक्ति जो शर्मलि स्वमाव के हैं और प्रधान के पास जाकर बातचीत करते से शरते हैं पर वहुविघ दिशाग्रा भे सोच सकते हैं उनके विचार! से तो लाम उठाया ही जा सकता है भौर उठाया जाना भी चाहिए । খালাগ্সী के प्रशासने म, सचालन म कल्याणकारी सेवाग्रा कं लिए सुभाव पटो धत्य-त उपमोगी सिद्ध हुई है। कई बार छात्रा को एसे ऐसे सुझाव देत हुए देखे गए हैं जिससे ऐसी एसी समस्याओ्रो को बात की बात मं हल कर लिया गया जिनको वद्ध व भ्नुमवी प्रधानाध्यापक मौ सूलभाने मे भ्रसफल ररै। इससे स्पष्ट है कि केवल वयस्क व्यक्ति ही उपयोगी चिःतन कर सकते हैं इस घारणा का खण्डन हाता है। कई बार बच्चे अपना नाम नही बताना चाहते हैं क्योवि वे सुझाव को उपहास मानने लगे तथा एसा सही होने पर उनको हसो हो । सुझाव उपहास का स्रोत तब हो सकता है जवकि बह एकदम नवीन तथा प्राश्वयजनक हो | समव है बहुत से सस्या प्रधान इस बात को अप्रासानी से स्वीवार भी नही करें पर बच्चों मं सजनात्मकता का विकास करने के लिए यहो एक तरीवा है तथा इस विचार को स्वीकार कर बष्चों मं सजनात्मक्ता का विकास किया जाना चाहिए। प्रश्न पूछने रे लिए भोत्माहन व्याख्यान, भाषण वाद विवाद प्रतियोगिता समाप्त करन के बाद बच्चो को प्रएव पूछने का समय दिया जाना चाहिए। इससे बच्चा का झपनी शवाओा को दूर करते का अवसर सिलेगा। उतके विभिन्न प्रश्नों से भ्रधिकारिया को नवीनतम जानवारी होगी, बच्चा की जिचासा शान्त होगी । इससे कई ऐसे विचार सामने आयेंगे जिनका य्यारयात देने वाले या भापण दन वाले न अपने भाषण मे समावेश हीनही किया दहै! करं सस्या प्रधानजो चडीकं वल परर विद्यालय का प्रशासन अलाते हैं बच्चो से इस प्रकार वै प्रशन पूच्ना परस द नही करते 1 वच्वौ को प्रश्ना भा उत्तर दकर उनकी जिताता णात करके उनको बहूविय दिशाभरामचितनका




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