मेरे जेल के अनुभव | Mere Jail Ke Anubhav
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
49.01 MB
कुल पष्ठ :
95
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हक ६ . हा थी ही चुत स्ासनगी तौर पर मट्टी क्यिं अं शोर ज़ाददिरा तौर पर करने में कोई खास दोष नहीं । झतरवब धारज रख कर ऐसी आ्रादूत डालने की ज़रूरत है। और इससे घबड़ाने झथ- था धिन करने या ऊब उठने की झावश्यकता नहीं । कोठरी के झ्न्पर सोने के लिए तीन इश्च ऊँचे पाये बाली लकड़ी फे तख्वों की चोफियां थीं हर को पीछे से पाय्यल झरोर एक छोटा सा तकिया तथा बिछोने के लिए एक चटाई दी गई थी । कभी कभी तीन कस्बल भी मिल ज्ञात. शे। परन्तु यह मेहरबानी के तौर पर । ऐसे कड़े बिछ्लीने ...... से कितने ही लोग घबड़ाते देखे जाते थे । साघारणत लिखें. ...... सुलायम सेज पर सोने की आदत दो उसे पसा खुरुरा _.... कड़ा घिछोना खलता है । वेद्यकशास्त्र के नियम के कड़ा बिछ्नौना ही अच्छा समझा जाता है। झतरव यदि घर में सी हमे कड़े बिछोने ही पर खोने की झादत हो तो जेल के ..... बिछोने से तकलोफ नहीं होती कोठरियों में दमेशा एक घड़ा _.. पानी श्र रात में पेशाब करने के लिए कुछ पानी शल्ग ... दिया जाता था | क्योकि रात में कोई केदी बाइर नहीं निकल... सकता । दरेक श्रादमी को के थोड़ा सा साधुन पक गज़ी की तौलिया तथा एक लकड़ी का चम- डर मा भी दिया गया था । बम ..... जेलख़ाने में सफाई बहुत झच्छी होती है। कोठरी की... करे हमेशा जन्तुनाशक पानी से घोई जाती थी जञ चूना पोता जाता था जिस से वे इमेश। नाशक पायी शब्ण्फ से साफ किये जाते थे व सर का
User Reviews
No Reviews | Add Yours...