पलाश भाग 3 | Palaash Bhaag 3
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
305
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 पलाश
लगे सतपुड़ा के जंगल मै लोक-नृत्य के मेले ।
वन-उपवन मेँ प्रकृति-नरी ने छेल मनोरम खेले ।
कण-कण मे जन-मन की आशा फलित हुई है निर्भय ।
नव प्रभात मेँ गूज उदी है भारत माता की जय ॥
प्रशन-अभ्यास
1. पढ़ो और बोलो
(क) हिमालय प्रभात शिखरों
आँगन घूँघट इंद्रधनुष
मंगलमय मेघालय कुंजों
अरुणोदय बर्फीले नृत्य
अभिनय प्रकृति मनोरम
फलित निर्भय आशा . |
(ख) 1. घाटी जाग गई सुनकर झरने की झर-झर-झर लय। `
2. मैदानों में निकल पड़ी हैं कल-कल करती नदियाँ।
3. वन-उपवन में प्रकति-नटी ने खेल मनोरम खेले।
ঘা. पढ़ो और समझो
मंगलमय = शुभ, कल्याणकारी
मेघालय = भारत के एक राज्य का नाम,
(मेघ+आलय) = (बादलों का घर) |
बर्फीली 5 बर्फ जैसा ठंडा
= चोटी.
शिखर
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