पलाश भाग 3 | Palaash Bhaag 3

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Palaash Bhaag 3 by इन्द्रसेन शर्मा - Indrasen Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 पलाश लगे सतपुड़ा के जंगल मै लोक-नृत्य के मेले । वन-उपवन मेँ प्रकृति-नरी ने छेल मनोरम खेले । कण-कण मे जन-मन की आशा फलित हुई है निर्भय । नव प्रभात मेँ गूज उदी है भारत माता की जय ॥ प्रशन-अभ्यास 1. पढ़ो और बोलो (क) हिमालय प्रभात शिखरों आँगन घूँघट इंद्रधनुष मंगलमय मेघालय कुंजों अरुणोदय बर्फीले नृत्य अभिनय प्रकृति मनोरम फलित निर्भय आशा . | (ख) 1. घाटी जाग गई सुनकर झरने की झर-झर-झर लय। ` 2. मैदानों में निकल पड़ी हैं कल-कल करती नदियाँ। 3. वन-उपवन में प्रकति-नटी ने खेल मनोरम खेले। ঘা. पढ़ो और समझो मंगलमय = शुभ, कल्याणकारी मेघालय = भारत के एक राज्य का नाम, (मेघ+आलय) = (बादलों का घर) | बर्फीली 5 बर्फ जैसा ठंडा = चोटी. शिखर




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