महाप्रयाण | Mahapryan

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Mahapryan by मनोहर लाल - Manohar Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महाग्रयाण मिलकर, छोटे मोटे झगड़े खत्मकर एक होकर जहर ओर उत्तेजना का सामना करना हे, उसपर काबू पाना है । और उसे खत्म करना है, जिसकी वजहसे हम गछत बात करते रहे हैं। लेकिन हमें इस जहरका सामना करना है अपने रास्ते चलकर बापू के रास्ते च कर । इस शानदार मुल्कके शानदार नेताके रास्ते हमें चलछना हे । हमें उस नेताकी शानके खिलाफ कुछ भी नहीं करना है । इस वन्त भै करका कायेक्रम बता दू | कल साढ़े ग्यारह बजे बिड़छा हाउससे बापूका शरीर उठेगा । शहरकी खास सड़कोंसे होता हुआ जमुना नदीके किनारे जायगा। शामको चार बजे दाहक्रिया होगी। जो छोग गांधीजीके अन्तिम दशन करना चाहें वे रास्तेमें किनारे खड़े हो सकते हैं । यह तो दिल्लीके छिए श्रोम्राम हे । देशमें हर जगह छोग कछ उपवास करें ओर शामको चार बजे नदी या समुद्रके किनारे जाकर प्रार्थना करें, ओर सोचें और अपनी खराबियां निकालें। ओर ग्रतिज्ञा करें कि सारी उम्र उन्हींके बताये रास्ते--सच्चे रास्तेपर चलेंगे । यही प्राथनाका सबसे अच्छा तरीका हे |? ओर जबाहरछालके चुप होनेपर थोड़ी ही देर बाद हिन्दके उप-प्रधान मंत्री सरदार बल्‍्लभभाई पटेल भी भारतके रोते हुए हृदयों को सम्हालने के छिये रेडियो पर आकर खड़े हुए, वे कह रहे थः- “मादयो ओर बहिनो ! मेरे प्यारे भाई पंडित जवाहरलाल नेहरू का पैगाम आपने सुन रिया है। मेरा दिल दर्देसे भरा हे। क्या कहूँ ओर क्या न कहूँ ९ आजका अवसर भारतवर्षके लिए शोक द्॒दे और शर्मका है। में आज शामको चार बजेसे बापूके साथ था, और एक घंटेतक उनसे बातकी। फिर वे घड़ी निकालकर बोले-मेरी आर्थनाका समय दो गया है; में चढल्ंंगा । वे भगवानके मन्दिरिकी ओर चल दिये, मैं वहांसे चछा आया । मकानपर पहुँचा भी न था कि मेरे पास एक भाई आया ओर बोछा कि एक नोजवान हिन्दूने , गांधी जीके ऊपर पिस्तौलसे चार बार गोली चलायी। में फोरन वापस पहुँचा । उनका चेहरा देखा। हमेशाका वही शान्त चेहरा था । उनके दिलके भीतर दया ओर क्षमाके भाव उनके चेहरेसे प्रकट थे । और बहुतसे छोग भी वहां पहुँच गये । लेकिन वह तो अपना काम करके चले गये। घचन्द ॐ =




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