उर्दू का बेहतरीन हास्य व्यंग्य | Urdu Ka Behtarin Hasya Vyangy
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११ #के सरहम को याद सें # पतरस
मेने बेहद हिक्रारत और नफ़रत के साथ मुँह उनकी तरफ़ से फेर लिया ইলা
মালুম হানা যাক্ষি মিত্রা को मेरी बातों पर यक्रीन ही नहीं आता, गोया मैं
अपनी जो तकलीफ़ बयान कर रहा हूँ वह महज़ खयाली हे, यानी मेरा
पंदल चलने के खिलाफ शिकायत करना ध्यान देने के क्राबिल ही नहीं ।
यानी में किसा सवारी का हक़ ही नहीं रखता । मैंने दिल में कह्ा--अच्छा
मिर्जा यही स्ह । देखो तो में क्या करता हूँ ।
मंने दाँत पच्ची कर लिये ओर कुर्सी के बाज पर स क्रुक कर मिर्जा के
क़रीब पहुँच गया । मिज्ञा ने भी सिर मेरी तरक़ मोड़ा | में मुस्करा दिया ।
लेकिन मेरी मुस्कराहट में ज़हर मिला हुआ था । जब मिज़ा सुनने के लिए.
बिलकुल तैयार दो गया तो मेने चबा-चबाकर कहा--मिर्ज़ा मैं एक मोटर
कार खगीदने लगा |
यह कहकर में बड़ो बे परवाह्दी के साथ दूसरी तरफ़ देखने लगा।
मिज्ञा बोले, क्या कदा तुमने? क्या खरीदने लगे हा?
मेंने कहा, “सुना नहीं तुमने । में एक मोटर कार खरीदने लगा हूँ।
मोटर कार एक ऐसी गाड़ी हे, जिसको कुछ लोग मोटर कदते हैं, कुछु लोग
सिफ़ कार कद्दत हैं, | लेकिन चूँकि तुम ज़रा कुन्द ज्ञेहन हो, इसलिए,
मेंन दानों लफ़्ज़ इस्तेमाल कर दिये हैं ताकि तुम्हें समझने में कोई दिक्कत
न पेश आये ।”
मिजा बोले, हूँ !'
अब के লিজা नहीं, मं।वे-परवाही से सिगरेट पीने लगा। भव मैंने ऊपर को
चढ़ा लॉ । सिगरेट वाला हाथ में मुँह तक इस अनन््दाज़-से लाता और हटाता
था कि बड़े-बड़े एक्टर उस पर रश्क करे |
थोड़ी देर के बाद मिज्ा फिर बोले, “हूँ !?”
मने सोचा, ग्रसर ह रहा है । मिज़ां साहब पर रोब पड़ रहा है। लेकिन
मिज़ा ने फिर कहा, हूँ !?)
मने कहा, “मिज्ञा ! जहाँ तक मुझे मालूम हे, तुमने स्कूल, कॉलेज और
घर पर दो-तीन ज़बानें सीखी हैं और इसके अलावा तुम्हें कई ऐसे अलफ़ाज़
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