एकत्व दर्शन | Ekatv Darshan

Book Image : एकत्व दर्शन - Ekatv Darshan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about निर्मल चन्द्र - Nirmal Chandra

Add Infomation AboutNirmal Chandra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वर्तमान युग की आत्मा ७ घारण करते हुए अनगिनत स्त्री-पुरुष तथा बच्चों की भुखमरी तथा हत्या के कारण होते हैं, वस्तुत: आर्थिक दुब्येवस्था से ही उत्पन्न होते हैं। ये संसार में त रहेंगे जब हम सामूहिक जीवन को मानवोचित रूप से संगठित कर पाएँगे और जब मानव सम्बन्ध परस्पर ईर्ष्या, द्वेप के स्थान में सहकारिता और प्रम में रूपन्तरित हौ जाएगा ग्रौर जब श्रम तथा उत्पादन को शक्ति के स्थान मे न्यायतः बाख जाएगा । संसार भर के श्रमिक समभने लगे है कि उनका दारिद्रय हमारी अपनी रचना है और इसे दूर किया जा सकता है। ग्रब वह अपने दारिद्रय्य को अदुष्ट व पिछले कर्मों से आरोप करने के स्थान में स्वार्थपरक पूंजीवाद के अत्याचार को उत्तरदायी जानते हैं और इसलिए वे अब अपनी निर्धनता में सन्तुष्ट नहीं रह सकते । वे अपने जीवन की आवश्यकताओं को अपना जन्मसिद्ध अधिकार निश्चय करते हुए इसके संरक्षण के लिए हिंसा को भी अनुचित नहीं समझते । अब तो कोई शक्ति भी इन्हें सदा के लिए दरिद्र न रख सकेगी। धर्म भी जो अपने स्वर्गीय जन्म का दावेदार चला आता है, अब युगात्मा से अप्रभावित नहीं रह सकेगा । मन्दिरों और गिरजों में हाजरी घटती चली जा रही है और घर्मसम्प्रदाग्रों के मेम्बरों का उत्साह भी कम हो रहा हैं। साधारण मानव धर्म की मान्यताओं मे उल्रना पसन्द नहीं करता, क्योकि वह्‌ देखता है कि धर्म के नेता संसार में युद्ध को समाप्त करने के स्थान मे इसके एजेण्ट बन रहे हैं। वे मुख से मानव बन्‍्धुता का उपदेश देते हुए भी व्यवहारतः द्वेंष फंला रहें हैं। इस पुथिवी पर ही स्वर्ग-निर्माण के स्थान में आकाश में स्वर्ग के चित्र उपस्थित करते हैं। वे प्रत्येक नवीन विचार व सुधार के




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now