विज्ञान | Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
96 MB
कुल पष्ठ :
463
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)करने की निंकट भविष्य में संभावना प्रबल दीख पड़ती
है किन्तु जहाँ साधन सम्पन्न देशों के वैज्ञानिक दवाइयों
की खोज में जुटे हैं वहीं भारत के “सिद्ध-चिकित्सा”
के विशेषज्ञ डॉ० के० वेंकटेसन भी इस दिशा में पीछे
नहीं हैं। डॉ० वेंकटेसन ने 16 वीं और 11 वीं शताब्दी
ए०डी० के तमिल साहित्य में “एड्स” का उल्लेख
दूँढ़ निकाला है जहाँ 20 से अधिक यौन रोगों के
संदर्भ मिलते हैं। इनमें से एक की समानता “एड्स”
से जान पड़ती है। इस प्रकार कुछ पौधों से तैयार
दवा के द्वारा डॉ. वेंकटेसन कुछेक एड्स रोगियों का
इलाज कर रहे हैं और उनका कहना है कि परिणाम
आशाजनक हैं। साथ ही उनका यह मानना है कि
'एलौपैथ, होमियोपैथ, वैद्य, हकीम और सिद्ध चिकित्सकों
को मिलजुलकर “एड्स” की दवा खोजनी चाहिए।
एक शुभ समाचार पेरिस, फएांस के रोण्ट जोसेफ
अस्पताल के डॉ० .एत्वर्ट बरेटा “ 01. /0610 88162
ने अपने शोधों के आधार पर लैँसेट' 1.21061“ पत्रिका
के माध्यम से, यह बताया है कि एचआई वी “11४”
का इलाज ढूँढ़े जाने की संभावना नजर आ रही है।
| परिषद् की जोधपुर शाखा से -
एक नया जेनेटिंक उत्परिवर्तन एड्स विषाणु के प्रति
प्रतिरोध पैदा कर सकता है। अतएव निकट भविष्य में
वैज्ञानिक विधि से उत्परिवर्तन करा कर एड्स रोग
पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
किन्तु यहाँ एक सहज-सा प्रश्न उठता है
कि एड्स की जब तक कोई कारगर दवा नहीं तैयार
कर ली जाती तब तक कया करें? 'एड्स' रोगियों के
साथ अनेक भ्रांतियाँ भी जुड़ी हुईं हैं। एड्स रोगी
समाज की दृष्टि से हीन समझा जाता है। आमतौर से
यह समझा जाता है कि एड्स रोगी के सम्पर्क में
आने, हाथ मिलाने, साथ खाने-पीने से रोग फैलता
है किन्तु ऐसा नहीं है। एड्स के रोगी को आप घर में
रख सकते हैं। हाँ इस रोग से बचने के लिए
समलैंगिकता, वैश्यागमन, एक ही ब्लेड से दाढ़ी बनाने,
किसी इलाज के लिए पुरानी पुर के इस्तेमाल, बिना
परीक्षण के रक्त चढ़ाने आदि से बचना चाहिए । हमें
एड्स रोगी के प्रति प्यार ओर करुणा का रुख
अखितियार करना होगा ओर जनमानस को शिक्षित
करनादहोगा। 11
विज्ञान लोकप्रियकरण कार्यक्रम
| मानस में ৯৯১৯০)
। माध्यमिक विद्यालयों यथा -गीतांजली,
विज्ञान परिषद् की जोधपुर शाखा राष्ट्रभाषा के माध्यम से विज्ञान के लोकप्रियकरण एवं जन
| में विज्ञान व जागृत करने हेतु सतत् प्रयत्नशील हैं। जोधपुर के कई उच्च
एवं हनवन्त विद्यालय तथा करई पारिस्थितिकी विकास.।
। शिविरों में जाकर ১ ডি के वैज्ञानिक इं. के. एम.एल. माथुर, डॉ. डी.डी. ओझा, डॉ. अचलेश्वर बोहरा, डॉ. |
| नरेन्द्र सिंह राठौड़ एवं
नीलम वासन ने क्रमशः जल एवं उसका यथार्थ उपयोग, लोकप्रिय रसायन |
| एवं दैनिक जीवन में रसायन. लोकप्रिय वनस्पतिर्यो. मरुस्थल में हानिकारक एवं उपयोगी कीट पतंगो |
| तथा संतुलित লিল प्रोषक के तत्वों का जीवन में महत्व के बारे में अत्यन्त ही सरल भाषा में रोचक जानकारियाँ |
| प्रदान
1 इस कार्यक्रम से न केवल विद्यार्थी वरन् शिक्षक समुदाय भी लाभान्वित हो रहा है। इस |
| ज्ञानयज्ञ की लोकप्रियता को देखते हुए जोधपुर के कई अन्य विद्यालयों तथा स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी |
| परिषद् के वैज्ञानिकों को व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया है ! जोधपुर स्थित विज्ञान परिषद् की शाखा |
| के सभापति डो. रामगोपाल भी हिन्दी के माध्यम से विज्ञान के प्रचार प्रसार में सक्रिय है तथा वर्तमान |
| कार्यकारिणी के सभी सभ्यो में रचनात्मक कार्यों को करने में बहुत उत्साह तथा निष्ठा भी हैँ । द
14. विज्ञान
जदीद जोश)
विज्ञान परिषद् जोधपुर शाखा |
जनवरी 1999
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