देव-सुधा | Dev Sudha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
189
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका
यह भूमिका महाकवि देव-क्रत स्फुट दोहों को एकत्र करके बनाई
गहै है । पाठक महाशय इन कविवर के ऐसे विचार इन्हीं के शब्दों
में सुनं--
(१)
সাখনা
इंदु-कलित सुंदर बदन मनमथ-मथन-बिनोद ।
गोबरधन-गिरि जास बन, बिहरन गोपति गोद& ॥ १॥
श्रीराधे बत्रजदेवि जे सुंदर नंदकिसोर।
दुरित हरौ चित के चिते नेसुक दे टग-कोर ॥ २॥
राधा कृष्ण किसोर युग पद बंदों जग-बंद ।
मूरति रति सिंगार की सुद्ध सच्चिदानंद ॥ ३॥
গাবাঘা हरिप्रेम-बस सरस सिंगार उदार |
छ रितु बारहो मास गन बृदा-बिपिन-बिहार ॥ ४॥
हरिजसरस की रसिकता सकल रसायनि-सार |
जहाँ न करत कदथेना यह अनथ संसार ॥ ५४॥
® जिसका वन गोवद्ध न-गिरि हे, शोर जो गउश्रों के स्वामी नंद
भेष की गोद में बिहौर करता हे ।
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