वीरविनोद मवाड का इतिहास द्वितीय भाग | Veervinod Mavad Ka Itihaas Part 2
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
110 MB
कुल पष्ठ :
746
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वोर विनोद.
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महाराणा रल्सिंह,
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1 महाराणा सांगा ( संग्रामसिंह ) के सात पुत्र हुए- १ पूर्णमछ, २ भोजराज, ३
: परवेतसिंह, 9 रत्नसिंह, ५ विक्रमादित्य, ६ रृष्णसिंह ओर ७ उदयसिंह. १ पूएेमछ `
। २ भोजराज ३ पव॑तसिंह ओर ६ रुष्णसिंह-चार तो महाराणा सांगाके सामने हो ¦
परलोक सिधारे. इनमेंसे २ भोजराज, जो सोलंखी रायमछकी बेटीके गर्भसे जन्मेथे, ,
: उनका विवाह, मेडतेके (१) रावद्दा जोधावतके पांचवेबेटे, रज्नसिंहकी बेटी, मीरांबाईके
४ (२) साथ हुआथा. मीरांबाई बड़ो धार्मिक ओर साधुसंतोंका सन््मान करनेवाली थी
यह विरागके गीत बनाती ओर गाती, इससे उसका नाम अबतक बहुत प्रसिद्ध है
| (१) मेडता- जेधपुरे राज्यमें एक कसना हे जिसके नामले एक परगना “मेडताकी पष”
|| कहाताहे.
( २) कर्नेल टॉंड साहब, मोरांबाईको महाराणा कुंभाकी राणी लिखतेहें; परंतु यह बात
| ठीक नहींहे, क्योंकि रावजोधासे विक्रमी १५१५[ >हि० «ছ২ ₹ই০ 9৪৬ ] में जोधपुर बसाया, :
/ विक्रमी १५२५[ - हि० <७२ - द० १४६८ ] में महाराणा कुंभाका वेहांत हुआ. विक्रमी १५४२
| [5 हिजरी ८९० ८ ई० १४८७] में रावदूदा जोधावत को मेड़ता ( झामा देवके वरदानसे ) मिला, ,
| विक्रमी १५८४ [ = हि० ९३३ = ई ० १५२७] में महाराणा सगा ओर बाबर बादशाहकी लड़ाई :.
| में, दृदाके दो बेटे धोरमदेवओर रलासिेंह ( सीरांघाईका पिता ) मारेगये, ओर वोरमदेवका बेटा जयमल्ल ::
विक्रमी १६२४ [ >हि० ९७५- ई० १७५६८ ] में चित्तोड़ूपर अकबारकी लड़ाई में मारागया ॥
१- सोचना चाहिये कि महाराणा कुभाके वक्त दूदाको मेड़ता रौ नदीं भिखा धा; फिर दृदाक्षे `
पोती मीराबाई मेडततणी कुम्भाकी राणी किस तरह होसक्ती है ? -- ৃ
२--महाराणा कुँज्ाके वेहांतससे ५९ वर्ष पीछे बाबर ओर महाराणा सांगा की लड़ाईमें
मीरांबाइईका थाप रल्लसिंह मारागया; तो महाराणा कुँभाके वक्तमें ( टॉड साहबका लिखना
ठीक समझा जाय तो ) रल्नसिंह की अवस्था चारीस वसे कम नहोगी.ः इस हिसाबसे লাই जानेके
वक्त सावपके आसरे होनी चाहिये; ओर इतनी उमरके आदमीका बहादरशीके साथ लड़ाईमें ..
माराजाना असंभव है--- 5
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