मनोरंजन पुस्तकमाला | Manoranjan Pustakmala

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Manoranjan Pustakmala by श्यामसुन्दर दास - Shyamsundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५ ) भेन सकष तीरथ यर थीरा। सुप शरनीक्रः জল হতের্ীহা ॥ संगम सिंहासन झुठि सोदा। छुच्र ऋछ्षययट मुति मन मोहा ॥ घम्तर मुन ग गंग सरंगा। देषि ददि दुख दारिद मंगा॥ दोषा । सेयह श्रुती साधु सुचि, पापदि सय मन काम । दी चेद्‌ पुरासं णण, कदि चिम्ल गुण प्राम ॥ ष्दीपाई। षो चदि र्दः प्रयाग प्रभाऊ। শত पुम धुःजर गगरा ॥ अस तीरथपति देखि सुहाया। হের सागर रघुयर सुख पावा 0” के शै # # है ফাকি




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