भारतीय सवतंत्रता संग्राम में राजस्थानी कवियों रों योगदान | Bhartiya Swatantrata Sangram Mein Rajasthani Kaviyon Ron Yogdan

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Bhartiya Swatantrata Sangram Mein Rajasthani Kaviyon Ron Yogdan  by डॉ नूसिंह राजपुरोहित - Dr. Noo Singh Rajpurohit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आआाल्ज्व ल्व्लिट्हल्त भारतीय स्वतत्रता सग्राम मरे राजस्थानी भाषा रे-कविया र योगदान रौ विपय भ्राज दिन तार प्रचरित झर उपेक्षित सो रह्यो । जन साधारण ने छोड'र साहित्यिक जगत ने ई इण बात री जाए कम रहो के स्वतत्रता सग्राम में राजस्थानी कविया रौ काई अ्रर कित्तीक योगदान र्यी ) इण कारण स्वतत्रता सम्राम रै इण विस्मृत पृष्ठनै प्रकाशमे लवणएरी काम झोघ रे हिसावू सू म्हन महताऊ ललाग्यौ 1 पणश्रोकाम पार घालणौ म्हारे वास्त करितरी গনী জামির हौमी, इणरी जाण म्हने काम सरु कया पछ ई हुई । विषय रो विस्तार इतरी व्यापक प्रर सामग्री इतरी बिखरयौडी ही के सरुपात “रा की बरस तो म्हन उखने भेली करण मे ई लागग्या । विषय सू सबधित साहित्य प्रकाशित कम झर हस्तलिखित ने लौगा री जबान माय देसी हो। इण कारण काम न पूरी करता, वद्बत कीं बेसी लागग्यी । बिपय री सीमारेखा निर्धारित करता भारतवास्िया कानी सु प्रिटिक्च सत्ता र खिलाफ कियोडं सम्रामन ई स्वतत्रतासग्रामरी सज्ञा दिरीजी है । कारण के इणसू पली जिक्ौ वारली शक्तिया आझानमक रे रूप मे भारत में आई, वे झठे ई बस न भारतीय बणगी । भारत री सस्कृति ने उणा प्रात्मसात करली । पण ब्रिटिश शक्ति सदिया ताई भारत मे रद्या प्रछ ई अक विदेशी शक्ति बखने रही । इण रो भारत सागे सबंध फगत शोय श्रर साम्राज्य लिप्सा ताई'ज सीमित रह्यो। अरे सू जावए री बखत आयी तो उणन डेरा डाडा उठाय ने जावण मे ई जेज नी लागी प्रर जावता-जावता कु चाला करण मे ई कोई सकोच महसूस नी हुयौ । ब्रिट्श्वि सत्ता रे विरोध रा भारत मे अं इज मूछ कारण रह्या । प्रस्तुत विषय इतिहास रे सागे इण भातमू थीज्योडोहै ॐ इण न चावता थकाई “यारी नी क्यो जाय सके । कारण के विपय री ता 13 ॥




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