भारतीय सवतंत्रता संग्राम में राजस्थानी कवियों रों योगदान | Bhartiya Swatantrata Sangram Mein Rajasthani Kaviyon Ron Yogdan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
446
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ नूसिंह राजपुरोहित - Dr. Noo Singh Rajpurohit
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आआाल्ज्व ल्व्लिट्हल्त
भारतीय स्वतत्रता सग्राम मरे राजस्थानी भाषा रे-कविया र
योगदान रौ विपय भ्राज दिन तार प्रचरित झर उपेक्षित सो रह्यो ।
जन साधारण ने छोड'र साहित्यिक जगत ने ई इण बात री जाए
कम रहो के स्वतत्रता सग्राम में राजस्थानी कविया रौ काई अ्रर
कित्तीक योगदान र्यी ) इण कारण स्वतत्रता सम्राम रै इण
विस्मृत पृष्ठनै प्रकाशमे लवणएरी काम झोघ रे हिसावू सू म्हन
महताऊ ललाग्यौ 1
पणश्रोकाम पार घालणौ म्हारे वास्त करितरी গনী জামির
हौमी, इणरी जाण म्हने काम सरु कया पछ ई हुई । विषय रो
विस्तार इतरी व्यापक प्रर सामग्री इतरी बिखरयौडी ही के सरुपात
“रा की बरस तो म्हन उखने भेली करण मे ई लागग्या । विषय सू
सबधित साहित्य प्रकाशित कम झर हस्तलिखित ने लौगा री जबान
माय देसी हो। इण कारण काम न पूरी करता, वद्बत कीं बेसी
लागग्यी ।
बिपय री सीमारेखा निर्धारित करता भारतवास्िया कानी सु
प्रिटिक्च सत्ता र खिलाफ कियोडं सम्रामन ई स्वतत्रतासग्रामरी
सज्ञा दिरीजी है । कारण के इणसू पली जिक्ौ वारली शक्तिया
आझानमक रे रूप मे भारत में आई, वे झठे ई बस न भारतीय
बणगी । भारत री सस्कृति ने उणा प्रात्मसात करली । पण ब्रिटिश
शक्ति सदिया ताई भारत मे रद्या प्रछ ई अक विदेशी शक्ति बखने
रही । इण रो भारत सागे सबंध फगत शोय श्रर साम्राज्य लिप्सा
ताई'ज सीमित रह्यो। अरे सू जावए री बखत आयी तो उणन
डेरा डाडा उठाय ने जावण मे ई जेज नी लागी प्रर जावता-जावता
कु चाला करण मे ई कोई सकोच महसूस नी हुयौ । ब्रिट्श्वि सत्ता रे
विरोध रा भारत मे अं इज मूछ कारण रह्या ।
प्रस्तुत विषय इतिहास रे सागे इण भातमू थीज्योडोहै ॐ इण
न चावता थकाई “यारी नी क्यो जाय सके । कारण के विपय री
ता 13 ॥
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