भारतीय इतिहास पर टिप्पणियां | Notes of Indian History

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुसलमानों द्वारा भारत की विजय ९५ १०२५५. फ़ारम के ईराक़ को इेलमाइटों के हायों से किर छीोव लिया गया; इस प्रकार पुरा फ़ारस गज़नी के महमूद के शासन के नीने आ गया । २९ अप्रेल, १०३०. महमूद गरदन की यृखु 1 महाकवि क्रिरदौसो उसके दर वार में रहते थे । उसकी सेना के मुद्य सैविक दुर्ग ये। हुकों को फ़ारस के लोगों का गुलाम समझा जाता था और उन्हें लेकर ममसूक (गुलाम) संनिकों के रेजीमेन्ट तैयार किये गये थे । गड़रिये अधिडाशतया तातार थे । अमीर-उसमरा और उच्च वर्ग को आबादी का अधिकांश भाग भरवों से बना था; न्याय तथा धर्म के सारे अधिकार उन्हीं को थे; नागरिक प्रशारशान के कार्य को अधिकाशतया फ़ारसी लोग चलाते थे। भहमूद गद्धवनी अपने पीछे तीन बेटे छोड़ गया था : मुहम्मद, ससऊद और अब्ुल रशीद; मरते समय उराने अपने सबसे लड़ लड़के, मुहम्मद को सुलतान नियुक्त क्रिया था, किन्तु वत्ती रात (१०३०) मसऊद ने, जो पिपाहियों का प्रियपात्न था, अपने बडे भाई को गिरफ्तार कर लिया, उसकी आप फोड़ दी, उसे वन्द्री बनाकर ड/ल दिया, और राजसिहासन पर स्वयं अधि- कार कर लिया । 1०३०-१०४१. सुलतान ससऊद प्रथम । उसके राज्यकाल में आमू के उस पार के सेलजुक तु्ों ने धग्रावत कर दी, मसंऊद ने उन्हें यदेड़फर उनके देश भगा दिया । १०३४, मसऊद प्रयम । लाहोर में उठते हुए विद्रोह को कुचलते के लिए वह भारत [गया], फिर उसने मेलजुको के ऊपर चढ़ाई कर दी । १०३४-१०३९, सेलजुकों रो उगकी लड़ाई; सर्व के समीप তিন্যমান [दन्दन- कान] में वह बहुत बुरी तरह पराजित हुआ और भारत की तरफ भाग गया; उगके अफ़गरो ने बगावत कर दी; उन्होंने मुदम्गद के बढ़े अहम को गद्दी पर बैंटा दिया; अहमद ने अपने चचा मसकद का पीछा फरयात्रा, उसे पकड़वा लिया, और-- १०४१--में, मरया डाला । मार डासे गये छुमतान के पेट गौद्व गण्यत अहमद पर [हमला किया] । [उगसने| बलय से कुष विश, #उकानर्तओ अहमद से उसकी मुठभेड़ हुई, उसे उसने पराह़ित ढ” রি, কবি পাত उसके पूरे परिवार को उसने मरवा दाता, সীল তর পাপা পয कर दिया । १०४९१-१०५०- सुलतान मौदूद ॥ आमू पार 27” তা পরপর के दशा बेग को अपना नेता चुना, उरते जन्मी श # दलस्य = রী




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