श्री नवपदार्थदर्पण | shree navpadarthdarpan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
shree navpadarthdarpan by मूलचन्द किसनदास कापड़िया - Moolchand Kisandas Kapadiya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मूलचन्द किसनदास कापड़िया - Moolchand Kisandas Kapadiya

Add Infomation AboutMoolchand Kisandas Kapadiya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ११) दरदासके नामसे दुकान खोर दी । आपकी करकत्तेवारी दूकान: व लखनऊवाली दूकानने खूब तरक्की की। ल्खनऊकी दूकानसे' चिकनका माल कलकत्तेकी ट्कानके अलावा ओर मी बहुत दूर २ बड़े २ शहरों ( बंबई, अहमदावाद, दिल्ली आदि स्थानों )में जाने लगा। आपके भतीजे लाला दामोदरदासजी बहुत बुद्धिमान व परोपकारी थे। लखनऊ जेन सभाके मंत्रित्वका काये २३ वषतक लाला दामोदरदासजीने बहुत उत्तम रीतिसे किया था। लखनऊमें नो कछ धमकी रौनक दै वह लाला दामोदरदाप्तनीके ही गाढ़ प्रयत्नका फल है | लाला दामोदरदाप्तनी कचहरीके कायमिं भी बड़े चतुर थे, वकीलोंको भी आपकी सम्मतिसे लाभ पहुंचता था। श्वतांबर जन समाजके साथ नो श्री सम्मेदशिखरजी पुनाका मुकदमा चरा था उप्तमें लाला दामोदरदासजीकी प्रामाणिक गवाहीका ह|ईकाटके जनोंपर भी अप्तर पडा था | आप धर्मके कामोमें हरतरहसे मुस्तेद रहते थ्रे। ला० दामोदरदापसनीने ही छा० निनेश्वरदासनीको व्यापरका कार्य सिखाकर बहुत होशियार कर दिया था | ला ०विशे- इवरनाथजीने ३ मरतबा श्री सम्मेदशिखरजीकी यात्रा की थी, ओर भी बहुतसे तीर्थाकी आप यात्रा कर चुके थे | आपने अपनी ६० वषकी उमरसे ही रात्रिमें पान पानी वंगेरह कुल चीजोंका त्याग कर दिया था | आप हर अष्टमी, चतुदंशीको एकाशना करते थे | आपने अपनी कोटी छापाबाजारमें एक मनोज्ञ चत्याख्य श्री चन्द्र- प्रभु भगवानका बनवाया था उमे रोजाना आप पुजन करते ये । आपको उाक्टरी दवारईका भी जन्मपयेन्त त्याग था। बानारकी कुल मिठाई व पूरी वगेरहका भी आपको त्याग था। इप्तके अरावा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now