सूरज डूबने से सूरज उगने तक | Sooraj Dubne Se Sooraj Ugne Tak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वाले रईस युवक के साय टइल रही ई--नं० १६ झा हाय सोनिया
की कमर में दे ओर वह उस सीढ़ी की दरफ जा रहे हें जो मागर-
वर की चालू पर खर्वी ६
--सोनिया, कोई शायद सोलह-सत्रद्द वर्ष की लड़की, मेंझोला
कद, साँवला सा रंग लेकिन खाल में मुलायमियत मक्खन सी,
आँखों में जादू मरी गदराइयाँ--चीड़ा सा माथा--धीच से सादे
ढंग से कद्ढे हुए बाल लेकिन पीछे की तरफ अंग्रेजी ढंग के जूड़ें
में बंधे हुए--पीक्षी और नीछी छींट का 'फ्रॉक' और इसके पीछे
जैतून के यूक्त सा नर्म, नाजुक, चिझना मय द्रा यौवन, शाय
में--वायें दाय मैं--रोढ्ड-गोल्ड की एक चूड़ी-गले में एक पतली
सोने की चेन में लटका हुआ “क्रॉस” भर पैर में बिना पेटी রবি
सैन्देल- सोनिया { वयः सन्धि--चचपन, जवानी--सोनिया !
सोनिया को अक्सर देखता दह-गौर्से देखता ह-प्रेमका
प्रश्न नहीं उठता-मैं और सोनिया, सोनिया और में -बद मेरा
स्वप्न दै और श्सलिए सत्य से बहुत दर और प्यार सत्य ६
सोनिया ! वस॒ एक वार मेने सपने में देखा था कि गिरे में
पादरी के सामने सोनिया और में स्बढ़े थे - पादरी के द्वाय में एक
पुस्तक थी भर सोनिया एक सफेद श्रौर चमकदार और मीनी
पोशाक में खड़ी थी-जैसे चांदनी मरे हुप्रे कुद्ठास की हं।- भौर
बैसा द्वी एक पर्दा उसके चेहरे पर पढ़ा हुआ था मगर इसका
चेंद्ररा रहू-रद फर काम से लाल पह जावा या मानो कादरेकी
चादर के पीछे सरव उग रहा दो-स्वप्न, सोनिया. सत्य | হু
सोनिया वहुत अच्छी लगदी ई - श्रच्छा नहीं लगवा ई सोनिया
का घूमना नं० १६ के साथ-सोनिया ने कर्मी मेसे तरफ नहीं
देखा ६ -
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