सूरज डूबने से सूरज उगने तक | Sooraj Dubne Se Sooraj Ugne Tak

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Sooraj Dubne Se Sooraj Ugne Tak by विष्णु शर्मा - Vishnu Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वाले रईस युवक के साय टइल रही ई--नं० १६ झा हाय सोनिया की कमर में दे ओर वह उस सीढ़ी की दरफ जा रहे हें जो मागर- वर की चालू पर खर्वी ६ --सोनिया, कोई शायद सोलह-सत्रद्द वर्ष की लड़की, मेंझोला कद, साँवला सा रंग लेकिन खाल में मुलायमियत मक्खन सी, आँखों में जादू मरी गदराइयाँ--चीड़ा सा माथा--धीच से सादे ढंग से कद्ढे हुए बाल लेकिन पीछे की तरफ अंग्रेजी ढंग के जूड़ें में बंधे हुए--पीक्षी और नीछी छींट का 'फ्रॉक' और इसके पीछे जैतून के यूक्त सा नर्म, नाजुक, चिझना मय द्रा यौवन, शाय में--वायें दाय मैं--रोढ्ड-गोल्ड की एक चूड़ी-गले में एक पतली सोने की चेन में लटका हुआ “क्रॉस” भर पैर में बिना पेटी রবি सैन्देल- सोनिया { वयः सन्धि--चचपन, जवानी--सोनिया ! सोनिया को अक्सर देखता दह-गौर्से देखता ह-प्रेमका प्रश्न नहीं उठता-मैं और सोनिया, सोनिया और में -बद मेरा स्वप्न दै और श्सलिए सत्य से बहुत दर और प्यार सत्य ६ सोनिया ! वस॒ एक वार मेने सपने में देखा था कि गिरे में पादरी के सामने सोनिया और में स्बढ़े थे - पादरी के द्वाय में एक पुस्तक थी भर सोनिया एक सफेद श्रौर चमकदार और मीनी पोशाक में खड़ी थी-जैसे चांदनी मरे हुप्रे कुद्ठास की हं।- भौर बैसा द्वी एक पर्दा उसके चेहरे पर पढ़ा हुआ था मगर इसका चेंद्ररा रहू-रद फर काम से लाल पह जावा या मानो कादरेकी चादर के पीछे सरव उग रहा दो-स्वप्न, सोनिया. सत्य | হু सोनिया वहुत अच्छी लगदी ई - श्रच्छा नहीं लगवा ई सोनिया का घूमना नं० १६ के साथ-सोनिया ने कर्मी मेसे तरफ नहीं देखा ६ -




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