गुण सुन्दर वृत्तान्त | gun Sundar Vrattant

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Book Image : गुण सुन्दर वृत्तान्त  - gun Sundar Vrattant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) किन्तु न तुम तो अनाथ का भी अर्थ जानते हो| इसी लिये अपने मुँह से ऐसा बखानते हो॥ धन सम्पत्ति कुटम्ब सहित होना न नाथता है। यह किन्तु मति महाराणी की मोह साथता है ॥४६॥ तो बताइये इसका सच्चा अर्थ कोनसा है। मेरा मन यह सुनने को साश्चर्य चकितसा है॥ कहता हँ यदि सावधानता से तुम भूष सुनो। सुनकर अपनी भूल हुईं पर माथा आप धनो ॥५०॥ नदीं छने १ विक्षेप मुझे में थेययुक्त सन हू, क्या आजीवन करना मुकफो एक सधन जन हूं ॥ भिक्षा के भी लिये आपको जाना मुझे नहीं। उत्त सकता है मेरा भोजन मेरे लिये यहीं ॥४१॥ दोहा-सुनि बोले यह ठीक है हो तुम भोजनराज । प्रणमन किन्तु यहां सही करें न भोजन आज॥४ २॥ , बठ यों सन्देह जल-निधि के उस इस पार । एक न घन को चाहता अन्य सघन सरदार ॥४३॥, , चण भर चुप रह कर नृपति बोला हे सरकार । तो फिर कहते क्‍यों नहीं क्या है तत्व विचार ॥४४७॥ ~~~




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