हमारे राष्ट्र - निर्माता | Hamare Rashtra-nirmata

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hamare Rashtra-nirmata by रामनाथ सुमन - Shree Ramnath 'suman'

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनाथ सुमन - Ramnath Suman

Add Infomation AboutRamnath Suman

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
महात्मा गांधी : पहुली झाँकी ७ नीरवता महाव्मशान की नीरवता की भाँति सतत जीवनमय और भया- नक है। यह आँधी आने के पहले विश्वात्मा के श्वास का प्रक्षेप हैं। और जिसके दिमाग में क्या यद्ध चल रहा हं कोई जानता नही और जिसके हृदय में चलतेवाले मथन को केवल अत्तर्यामी जानता ইহা कोई जानना चाहे तो भी न जान सकेगा--ज्वालामुखी की तरह फटनेवाला है। यह निश्चय है कि वह जो कुछ करने जा रहा है और जो कुछ करेगा, चाहे वह कैसा ही हो--पर ऐसा होगा जो निद्रालूं जत-समूह को हिलाकर छोडेगा ! हमारा हृदय तो, दुढ्ेल प्रेमी की तरह, अभी से काँपता है । और हम तो हाथ उठाकर मालिक से उसकी चिरायु की भीख माँगते है। वह तपस्या का घघकता हुमा अंगारा ह । उसके वारे में कुछ कहना सहज नही है पर जो कुछ कहना है हम बाद मे फरेगे । ततक, आइए उसके जीवन पर एक सरसरी दृष्टि डाछ ले। “>दो-+- जीवन-कथा गांधी नाम से तो ऐसा ही मालूम होता है कि गाधी-परिवार पहले पसारी का काम करता रहा होगा | पर गराघीजी के पहले तीन पुर्त तक बह काठियावाड की भिन्न-भिन्न रियासतों में दीवानी का काम करता आया । इसमे श्री उत्तमचन्द गाधी पोरवदर के दीवान थे पर पीछे अपनी निर्भकिता कै कारण उन्हे वह स्थान छोडना पडा । उनके पुत्र करमचन्द गाघी भी पहले पोरबत्दर ( सुदामा- पुरी) और वाद में राजकोट एवे वाकानेर कै दीवान रहे । वह्‌ एक अन्‌- मवी राज्याधिकारी थे पर स्कूली शिक्षा उनकी बहुत कम--वबिलकुल परिवार एवं जन्स




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now