जैन धर्म | Jain Dharm

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Jain Dharm by श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुष्पदंत भूतचली गुणघर आचार्य कुंदकुंदाचाये उमाखामी आचार्य सतमद्राचाय सिद्धसेन देवनंदी पात्रकेषरी अकलंक विद्यानदी माणिक्थनटी अनंतवीयं वीरसेन लिनसेन प्रमाचद्र वादिन नियुक्तिकार मद्रवाहू मल्लवादी जिनमद्र गणि हरिमद्र অমন हेमचढ़ यशोविजय अनुक्रमणिका १७ २८० ५ प्राचीन जनका व २८० पुरातत्व (२८९ त ३०० ) २८१ चित्रक २९० २८१ मूर्तिकल २९२ २८२ सखापयकल २९४ २८२ ६ सामानिकरूप (३०१-३३७) २८१ १- जैनसंध ३०१ २८४ २- संघभेद्‌ ३०६ २८४ ३- संग्रदाय व पंथ ३१५ २८४ दिगंबर प्रदाय ३१६ २८५. दिगवर सप्रदायांवील संबभेढ ३१७ २८५ तेरापंथ व वीसप्थ ३२३ २८५ तारणपथ ३२४ २८९ [२ खेतावर सप्रदाव ३२४ २८६ खेतावर चैत्यवाती ३२६ २८६ मूर्गिपूजक शरे” गच्छभेट ६२८ २८७ खानकवादी ३३० २८७ मूर्तिपृजाबिरोधी तेरापथ ३३२ २८७ [३ यापनीय सघ ३३३ २८८ [४ अर्ध॑स्काल्क संप्रटाय ३१४ २८८ ও विविध सकटन ३२७१४०७ २८८ १- कांही जैनवीर ३३७ २८९ বালা দহ ३३८




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