राजतरंगिणी | Raj Trangini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
520
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजतरशभिणी | ५,
किया है इसलिए এই कठोर उष्ण किरण-सभूह से तपाने के লী লী ই খু भोरवूर्ण हृदय
से यहाँ ग्रीष्म मे भी तीक्षता नही प्रष्टं करता है। यह बह पेश है जहां बड-बडे विद्यान्भवन,
बे के समान शीतल जल और अमृत के सभान मधुर द्वाक्षाफत आदि स्वर्ग-ढुरलभ पदार्थ भी
साधारण ही भिने जाते हैं ।
तीन लोक में भूलोक श्रेष्ठ है और भूलीक मे उत्तर दिशा की शोसा ऐसी है जिसको कि
वर्मन हो नदी सकता] केवल इतना ही कहा আ सेकता है कि उत्त ९ दिशा का हिमालथ नाम का
पर्व॑त अतिशय अशसनीय है और उस परम अशसत्तीय हिमालय प९ भी के।श्मीर देश अत्येक
दृष्टिकोण से परम भनीह्₹ है ।
४. कोल-भणन( के विषय में
कलियुग] में इस कश्मीर देश के राजस्तिहासन प९ कौरस्वन्पाण्डब के समकालीन तीसरे
गोग॑न् पकं तावप नरेण 4० चके हु । किन्तु वे सेब चरेश इतने भागयहीन थे कि उनके समथ मे
५५।-७५ 4 दीर के निर्माति कवि-५८।अो का अभाव था। महाअतापशाली जिन राजाोओ को
भूजा-रुपी वन की छाथा में यह सथुद्र से घिरी हुई पृथिवी स्वथा निरभेय थी, ऐसे <ज।जो का नाम
भी जिसके भनुभ्रह के बिंचा थोष तक चही जाता है, उस स्वॉभावषिक भहप्वश।लिनी कवि-
रुपना को मैं साई भणाम करता हूँ ।
जिनके चरण हाथियो के गण्डस्थलो १९ रखे जाते थे जोर जो अखण्ड ६।५।७५-लक्ष्मी
का उपभोग करते थे, जिनके विशाल और ऊँचे-ऊेचे राजभवचो में दिन में भी পপ) অ।ণী
चांदनी के सभात रूपवती युवततियाँ स्वच्छत्द विहार करती थी, कवि-रचना के बिच। उत्त भूषाणो
को भी यह ससार स्वप्न में उत्पन हुए भी नही भाच सकता । ৬ধ)২ तो अतीत के भूपालो को
कर्वि-रुपना में ही देखना चाहता है । अतएव है ।६ कवि-कृत्य । हम आपके भुणों का कहाँ तक
नर्णन करे । केवल इतना ही कहना पर्याप्त है कि अपके নিশা थह २1६ भेच्ध है |
कसय मे भोनत्द आदि बावन राजाओ ने २२६८ वर्ष तक कश्मीर देश का शासन
किया । लो कहूते है कि महाभारत थुद्ध 611९ युग के जच्त में हुजआ। इस कहावत के कारण
लोगो में भ्रम उत्पन्न हो चुका है। परिणाम यह हो रहा है कि भेरी इस काल-गणना को भी
बहुतसे आन्ततित्त ऐपिहासिक गलत मानते हैँ । किष्पु र्म वहं निश्ववदुनक क् द् हूँ कि
=।१५) < के रार्जासिह्ासम को मूिपत कर्ते वाते राजानो का श्वासन-काल मौर बीत हुणा केलि-
काल ५९५९ ही है।
कलिथुभ के ६४३ वर्ष बीत जाने पर कौरव-पाण्डव हुए है । आजकल शकके।ल के
चौबीसे्ें लौकिक वर्ष से १०७० वर्ष बीत चुके हैं। आय तीसरे गीचेन्द के समय से आज तक
२३३० वर्ष बीत भये हैं । उत्त बाव्न रानानो का शासन-काल १२६६ वर्ण ऐतिहासिक सम्मति
से सिछू है । अतएन इस सम्बन्ध मे किसी भी अकार का सन्पेह वद) दोन भाहिए |
ज्योतिष-सहिताक। रो का ऐसा सत है कि चित्र-शिखण्डि अर्थात् प्रव-तार। की परिक्रमा
करने नाले सप्तकणिन्गण एक नक्षत से दुसरे सश्षज १९ एक सौ वर्ण में सभार करते हैं । जिस
समय राजा युचिष्डि९ धृथ्नी ५९ शासन करते ये, उस समय ये सप्तऋषि-1ण मधा नक्षन पर्
थे} सजा धुचिष्व्सिका शन्काल २५५६ माना ५५। है। इसी को लेकर मैंने क~ ५न्।
की है ।
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