आधुनिक शिक्षा की समस्याएँ | Aadhunik shiksha ki samasyaen

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आधुनिक शिक्षा की समस्याएँ - Aadhunik shiksha ki samasyaen

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ध्मान भारत मे बच्चों कौ दिला ११ कटनी चाहिए । খিলা को গন্য योजनामो के साथ-साथ माता-पिता की ज्िक्षा पर भी ध्यान होना प्रावश्यक है। सरकार व जनता को सबसे प्रधिक तो स्थरी-कल्याण-मंघठत को सहायता देनी चाहिए जिसने इस योजना वे भागे बढ़ाने में श्रपना सहयोग दिया है 1 अतः यह स्पष्ट है कि भारत में भ्रादर्श शिक्षालय वहाँ बनाना चाहिए जहाँ ाँव के प्रत्येक बच्चे की पहैच किमी भी ठीव समय पर हो सके और वह भ्रत्ति साधारण ढंग का होना चाहिए। बच्चों को दिनचर्या में हेड, संगीत, पर्यटन, भोजन, विश्राम कहानी रादि तभी को उचित स्थान मिलता चाहिए । मव वहानिया श्रौर उपदेश साधारणतः स्थानीय भाषा में होते चाहिएँ । जिससे सीखने में सुविधा रहे । इन वच्चों को सर्वेधा व्यावसायिक शिक्षा देतो ही उचित नहीं बयोंकि उनकी अवस्था बम होती है । भ्रधिकाश समय्र तो ऐसे हाथ वे वाम को देना चाहिए जो मतोरणक होते के साय-यथ शिक्षाप्रद भी हो । 'हाप के काम से हगारा भभिप्राय मिट्टी के नमूतों से ही नही है बल्कि मूव की द्तकारी भो निपाती क्राहिये जिसत्रा हमारे गांव में भाषिदय भी है भौर जिससे विभिन्न प्रशार वी पुताई व जाली तैयार की जा सवती है। भारनीपे प्रमो म चर्यो पा बहून योष्ठा समप शिक्षालय में बोतता दै । इसलिए पूर्व-प्रारम्भिकशिक्षा को पर्याप्त रू) से पूर्ण भौर मनो- रजक वनानि का ध्यत्त फरना चाहिए। कहानी प्रौर सगीत द्वारा बच्चों को बड़ी भुगमता से शिक्षा दी जा मकती है। राष्ट्रीय जीवन के समान विधान ङे जोवन मे नी संगीत को ममत्वं स्थानं भिलना चटु | भय ये प्रभिय वा घतलत्द देने बालो बहानियाँ शिक्षा देने का सर्वोत्तम सपन दरा जा सकतो है । गोव के प्रत्येश विधालय के चारों झ्ोर बाद होना शिक्षा के लिए प्रदसन्त ध्ावश्यक है । बहा हम बच्ची के साथ उन कामों में भाग ले सकते हैं जितगे वह घर में भी परिचित हो जाते हैं। इसके अनिरिक्त




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now