योजना के विभिन्न पहलू | Yojna Ke Vibhinna Pahlu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ व्यक्ति आय दुगुनी हो जाए, -उसको प्राप्त करना सम्भव है ? (२) यदि इस लक्षय को पुरा करना है तो क्या कार्य करना चाहिए ? इसमें कोई सन्देह नहीं कि जो लक्ष्य हमने अपने सामने रखा है, वह्‌ प्राप्त हो सक्ता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है--- “यदि तकनीक का सही उपयोग किया जाए, साथ ही सिंचाई और खेती के रकवे का सम्भव प्रसारण हो तो भारत अपनी खेती की उपज चौगुना या पंचगुनी कर सकता है। जब तक हम अपना लक्ष्य प्राप्त कर लें, तब तक और नई तकनीक निकलेगी और आगे और भी प्रगति के लिए रास्ता खुला रहेगा । इस लेख के अन्त में जो आंकड़े दिखाए गए हैं, उनमें यह देखा जा सकता है कि गत कुछ ही वर्षों में हमारे राज्यों में फसल उगाने की जो प्रतियोगिताएं हुई थीं, उनमें सबसे ज़्यादा उपज कितनी थी । उन श्रांकड़ों को देखने से पता चलेगा कि स्थानीय औसत से वे वहुत ज़्यादा हैं। जहां श्रौसत ऊंची है, जैसे चावल के मामले में आन्ध्र, वहां येआंकड़े बताते हैं कि और भी ६ गनी उन्नति हो सकती है और जहां औसत कम है, जैसे चावल के मामले में उड़ीसा है, वहां १३ या १४ मुनी उन्नति की सम्भावना है । यही वात गेहूं के सम्बन्ध में भी कही जा सकती है । सारे राज्यों में बहुत से खेतिहर ऐसे हैं जो श्लौसत से ५ या ६ गृनी ज्यादा उपज पैदा करते हैं। इन आंकड़ों से यह जाहिर होता है कि उन्नति की कितनी सम्भावनाएं हैं। यह सभी जानते हैं कि भारत के कई हिस्सों में ऐसे बहुत से खेतिहर हैं जो अपने फार्मो में सरकारी फार्मों की ही तरह ज्यादा उपज पैदा करते हैं। हमारे किसान समझदार हं ऐसा समझने का कोई कारण नहीं है कि हमारे यहां के . खेतिहर पुराने पंथी हैं और नए तरीकों को अपनाना नहीं चाहते । सन्‌ १८६२ में भारत सरकार ने उस जमाने के बहुत बड़े खेती विशेषज्ञ डा० वेलकर को भारत में खेती की उन्नति के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने




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