अक्क महादेवी और मीराबाई का तुलनात्मक अध्ययन | Akk Mahadevi Aur Meerabai Ka Tulnatmak Adhyyan

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Akk Mahadevi Aur Meerabai Ka Tulnatmak Adhyyan by सावित्री श्रीवास्तव - Savitri Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च 4 नके दुरित यवना कहो हे । दौनौ को ठनि আাছ্রাফখতাশী কা এল नहां था, वयो कि दौनों के कपण्य ये अकमर तथा মেলা কণা गौण -प से हं। चित्रण हो पाया है किन्तु जन-मामस मैं दीनो हा प्रतिष्ठितौ चका हं । दौनों ही क्ार्यात्रियाँ के समा वचन तथा पद गेय हें, किन्तु इंदविवान को दृष्ध्टि से मीरा कक महादेव को জান অধিক घना हं । यथपि उनका इव~विधान पिगक्छास्त के चुप र नहा है, फिन्‍ल उसमें गतिरीय नहा उत्पन्न इनैता । अवक महादेव के काव्य ये दौ हंद पत्र प्रयुक्त हुए हं, जब कि मतके पष्ठ नौ पमुख तथा षा गौण इयौका प्रयग हुगाटे | পাতে कव समात-पषठा मौ उव महोदेवो शो उपदा जधधिक सभठ है । मीरा के पदों प ७५ ানশশশিশিযী का चिक्रण हे । वै नुत्य भो बत्यन्त -निपुण हें,जड कि अकव महादेव में इसका सर्वधा' अमाव है । वैसे दौनोँ का तसस्‍्त काण्य गैय है । बौनों ही कवायित्रों की भाजा-रेंहो জে जेः हो सबब, মতি পা प्रवाइ-युक्त है । दौनों कै कपथ्य मैं मुहावरे बैर छोको वितयां कप समानरुम से प्रयौग हुआ है । हसी पकार गृनमीण ,देशन और संखूत शब्दों के धयम भी ते दौनों समन हैं । मोर की जयेद कक महादेवो कशो भष मैं सपाष्ठाए-शॉमित अधिक है | मीरों में काव्य-का ,संगी त-कछा तथा মুক্তা कि पण प्रवाहित होती है, छिन्द कक महादेवी का লা জীঘাশানুল स्विति हे । हें अध्याय में दोनों कवर्थिश्रियों के पदाँ कप सुझनवत्मक विव उदाहरण सहित प्रस्तुत किया गया है, 'जिसते यह व्यक्त होता हे कि झमय और स्थान का इतना अन्तरा इते हर भौ पमौ में अत्ययिक समानता है । दोनों कायित्ियाँ ने गुल के प्रति अपार रद হল কী है আঁ যানি काकण की दियता का चिभ्रण किया हे | नारीव हगार को दौसों ने ভিপি ধা है तथा ঘাত্যাশ্ল্পিক हतर ভ্ী स्थवीकपर किया है | दौनों ही




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