हिंदी एवं मराठी के वैष्णव साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन | Hindi Aur Marathi Ke Vaishnav Sahitya Ka Tulnatmak Adhyyan

Hindi Aur Marathi Ke Vaishnav Sahitya Ka Tulnatmak Adhyyan by डॉ. नरहरि चिंतामणि जोगलेकर - Dr. Narhari Chintamani Joglekar.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समत्व दशा । नामदेद का सकत्प और निरदचय । नामदेव चख॒ र्दाविन एक माहित्यिक प्रकार 1 नामदेव का दृष्टिकोण । ७ थे माच्छ व सर का ग्य का सथि क्या नलयमालबर- ममयथाम-नवक कर नया पाना कि यान. ूगद्ध 1 | व माोक्त सर काव्य का नाज-ाचन दाग 1 क्त आर भगवान से प्रेम संघप का नाव 1स्‍्पात 2 नामदेव पट बसा दत्ति । नामदेव की चिन्ता आत्मनिद्ट लेनी में देव की आतंता 1 -स्ययंदर का प्रेरणा ख्रोत लवण अझजन प्जाग्ण्ण्ण न नयरपन्सजच रु कसा को श्म-पत 1 ना रद को विनोद प्रियता का वर्णन नारद- चरि्र-चित्ण रुदमी शोर झप्ण के युद्ध का एक हस्य । ऊुछ सांस्कृतिक प्रसंग । एक्षनाय का सम्पादन कोशल्य । भावाधे-रामायण के निर्माण की पुरे पीठिका भावायं-रामायण की प्रेरणा । रामकथा निर्माण की प्रेरणा और स्फूति से उत्पन्न च्यामोह ग्ण्णणा सयम्यम्यार फिका च्यानाहू नर का 2 पिि सस्यिक प्र एकनाथ का क्ञतया का साहात्पिक पक्ष 1 झाशषोवचन गरेश-आदेश सरस्वती की आज्ञा संताज्ञा सादाय-रामायस की साहित्यिकता का लक्ष्य । भावाधे-रामायण की साहित्यिकता 1 राम-जानकों परिणय । चानर-वीरों का निइचय ररप़वीरों के किस 1 स्फुद काव्यों का परिशीलन-वालकृपण वर्णन दिरहिसी गोपी की दया न। गोपी को समस्या एकनायकृत हिन्दी अभडू-रचनाओं का साहित्यिक पक्ष । हिन्दी गुदरातहो अभड़ । कंजारन अभडज्ू हिंन्दी तेलुगु और मराठा के संमिद्य रूप में ने नावनात्मक-पुकता और ठ् अर ससूकृतिक-समन्व त य निष्कप । एकनाथ सागर-गदं-हरण कमी एुक झात्तच्यर एव दासपतिक एकनाथ को सम दचा कं तियों का संक्षिप्त विहंगमाव- कि मास्क सकते हे तारा फल रनड ऊझमसरों क्त्व पास पन्नू अझन्तम उनपन न ननजू। का साएहास्यक पक्ष । अन्त भक्त की अभिव्यंजना नक्त का मनानाद अपने आचव्य स् न न 2 भावन न प्रकट होते साल अल कर पा चनफकंस्य का वना यू कक ह्ान वाला क्ाव 1 भक्त सर भगदादू को अभिन्त्ता आात्मा-परमात्मा की एकता तुकाराम को रा क्भ मिल लातवारा तक्पराम के सात्मानूभद. तुकाराम की समाज को देन । तकाराम के काका हिन्दी लभज्ध । रामदान के काव्य का साहित्यिक पक्न । सीता-सउयंवर- वर्णन राम याद... अं द- ए्थायाधयवाा थ्ः्द् च्र्ल् प्र थ श्2द प्ेक थ्द्द कि सता ता न््यं हंचमाव सं रथ सख-निवेदन । रामचन्द्रल जा पसन भगवान झच्धूर का नुत्य दरन समर्थ को भक्ति-भावना व्यक्त कक दाल सनी द्द्य पर पद हवन राम ड न करन य + उपदद परक पद । समय रामदास क्ते साहित्य का मुल्यांकन 1 ५ ७०. पर पद पृष्ठ ६२७ से ६७६ हिस्डी दषपपन किये न का सा स्यक क पक्ष दर्द वप्ग्पव कवियों का साहित्यिक पक्ष-- प्धर ३ सह भगक्तिरस क करन युक्त नाद्त्व का महत्ता एवचसू साहित्यिक पक्ष । प्रतोकों के द्वारा भादान झुश्त 1 लार ट नु लाराव्य को सर्वव्यापकता को प्रकट करने वाली प्रतीक इॉली 1 मनग्राही झ्सिरा न टिक य भ नर्स कसम का शक मर वन न भाटा न कावत्द कान मरसत्ता घत्तीति सौर विश्वास कम साहित्य । कवबोर साहित्य दत्य का भाव प्रेम से है । तसझी न न टद1 तुलयादासजा कर साहित्य पक्ष । भगवान राम




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