राष्ट्रीय-सन्देश | Raashtriiya Sandesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ভ্বলি ।
३-स्खति
“ অন याद आ रहा है, गुजरा इवा जमाना '
१
जव भारतीय रवि था उन्नत सखे ! गगनमे,
प्रतिभा चमक रही थी जव चौदह मुवनमें |
तन्मय थे देङ-वासी उत्थानकी ख्गनमे,
आर्स्य-दासताका था छेश भी न तनम |
जिनका सुयश हृदयसे संसारने बखाना-
-वह् याद् आ रहा है, गुजरा इवा जमाना ॥
[२]
भारतकी कीर्ति-ज्योत्स्ना जगबीच छा रही थी,
विद्या-कछा-कुशलता, गौरव दिखा रही थी ।
पाइचात्यवासियोंकों मानव बना रही थी,
सोये हुओंको- उद्रो कहकर जगा रही थी |
संसारने हृदयसे गुरुदेव ! था बखाना-
-वह याद् आ रहा है गुरा इञा जमाना ॥
[ই
श्रीराम-ङष्णकी थी यह जन्म भूमि प्यारी,
सोपान स्वर्ग॑की थी, भारत मही हमारी,
राणा प्रताप सम थे प्रिय पुत्र इस महीके,
रिवराज वीर सांगा, परथिराज थे यहींके |
धिवर धिक् हा | हमने उनके आदरको न आना-
-अव याद् आरहा है गुजरा इभा जमाना ॥
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