नशे नशे की बात | Nashe Nashe Ki Baat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
छि० का०--(बोतलों को करीने से रखते हुये) जाते हैं बाबू, (जाते हैं ।
हम तो आप ही जा रहे हैं। तुम्हारी ही राह देख
रहे थे। बाबू मुडेरे पर काग बोल रहा था । इस स
कहा पूछ देखे !
(गाहक कामता “ऐ बाबू” ऐ वाबृ” पुकारता दुकान में आता है ।
कामता की चाल से प्रकट होता दै कि शिथिलता के कारण उस के अंग
मोल खा रहे हैं | वह एक मैली घोती धुटने तक और कबाड़ी के यहां से
खरीदा, कई जगह से मरम्मत किया हुआ एक चिथड़ा सा कोट पहने है।
करता न होने के कारण कोट में से उसके सीने के बाल दिखाई दे रहे हैं ।
सिर पर पश्ठेदार काली टोपी है | ठोपी के भीतर का पढ्चा टूटकर दब गई है ।
टोपी के नीचे के किनारे प्र चिकनाई श्रौर गद जमी है। कामता के चेहरे पर
बढ़ी हुई हृजामत असंयम और लोकमत की उपेक्षा का प्रमाण हैं | सिर और
दाद्ी-मू छ के काले बालों के कारण उसकी आयु तीस पेतीस और चेहरे पर
छायी शिथिलता और पत्चकों के नीचे फूले हुए मांस के कारण पचास-पचपन
बरस तक कुछ भी समझी जा सकती है। कामता की पुकार सुन कर राधे-
मोहन और छिद्दू-काका प्रश्नात्मक दृष्टि से उसकी ओर देखते हैं ।
कामता--(दीनता से गरदन बायीं ओर कंधे पर कुकाये हाथ जोड़ कर
गिड़गिड़ाता हुआ ) ऐ बाबु ! श्राज निरास न करो !
छि० का०--( बैठे हो बैठे कामता की ओर धूम कर स्वागत के स्वरम)
कहो भैया कामता, होली केसी जम रही है !
कामता--(छिद्दू-काका को उत्तर देने के लिये अनुत्साह से हाथ हिलाकर) '
अरे छिद काका, अब क्या जामेगी होली ? तुम जानो
होली जब जमती थी, तब जमंती थी ।
रा० मो०--(हाथ की किताब को डेस्क के कोने पर रखते हुये दृढ़ता प्रकट
करने के लिये गदनं सीधी कर तरजनी से चेतावनी देते हुये)
कामता, हमने तुम से एक बार नहीं बीस बार कह
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