विजया (दत्ता) | Vijaya [datta ]

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Vijaya [datta ] by सरत चंद्र चट्टोपाध्याय - Saratchandra Chattopadhyayहंसकुमार तिवारी - Hanskumar Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विजया १७ तरह पाच छ दिन बीत गए | सुबह की चाय वाय पीकर नीचे वे बैठके में विजया विलास बाबू से जमीन जायदाद के बारे मे बातें कर रही थी कि बरा ने आकर खबर दी, कोई सज्जन मिलना चाहते है । विजया बोली -- उहे यहा लिवा लाओ | इन दिनो तक भले बुर प्रजालोग नजराना लेकर जब तब भाते रहे थे, लिहाजा पहले तो विजया ने ऐसा कुछ स्याल नही किया । जरा ही देर में दैरा के पीछ्ध पीछे जो भला आदमी जदर आया उसे देखकर विजया हैरतमे पड गई। उम्र करोब चौबोस-पच्चीस वी होगो । लम्बा कद, लेकित उस हिसाब से तददुरुस्‍्त नही, बल्वि दुबला-पतला | गोरा चिट्टा रग, दाढों मुछ चुटो हुई, पैरो म॑ चट्टी, बदन पर कुरता नही, सिफ एक गाढी चादर को फाक में से सफेद जनेऊ दिखाई पड रहा था | उसने नमस्कार किया और एक कुर्मी खीच कर वठ गया । दससे पहले जो भी भला भादमी अदर आया, यह नही कि बह मिफ नजरान लेकर आथा, वल्क भिसक्ते हए अ-दर आया । तेकिनि इस आदमी के आचरण मे सकोच की वू तक न थी | उसके आते से कंबल बिजया ही विस्मित न हुई, विल्याम को भी कुछ कम आइचय नहीं हुआ । दूसर गाँव वा हात हुए भी विलास इधर के सभी नले लोगो को पहचानता था, হীবিন মত श्रुयतः उसका बिल्कुय अची हा था। जानेवाले भलेमानस ने ही बात वी । बहा, मेरे मामा पूण गागुवी आपठ पडोसो है, यह बगलवाला मानि हो उनका है। सुनकर में टराव हू कि बाप दादा के जमाने से उनके यहा जो टुगापूजा चली आती है, उस क्या जाप इस साल वद कर देना चाहती है ? दसवा वया मतलब ? कहवार उसने विजया पर अपनी” निगाह रोपी । सबाल और उसके पूछन + ढग से विजपा चकित हुई तथा मन ही मन खीभी, लेकिन घोइ जवाब नहीं दिया । जवाब दिया विवास न । सखाई के साथ बाला इस।लिए कि आप मामा वी ओर से भयडन आय ह 4 लेब्नि यह न भूल जायें कि जाप बातें कि यसे चर रहे है। हँसकर भागठुक ने जरा जीभ काटी 1 बस, मैं वह भूला नहीं हूँ नही भगडने आया हू । बल्कि मुझे इस पर यकीन नही गाया, इसीलिए ठीक-ठोक




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