रचना - तत्त्व भाग 1 ए सी 824 | Rachna Tatva Vol 1 Ac 824

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Rachna Tatva Vol 1 Ac 824 by त्रिवेणी प्रसाद - Triveni Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रचना-तत्त्त ९ प्रत्युष, प्रत्युष-अमात भस्ल॒क, मल्दधक माल्‌ मदुर, मसू स्क प्रकार का अन्न भे व ২-_লক্সীহ হা (१) ऋ, र और प के बाद न का ण हो जाता है; जैसे---रुण, ऋण, भूषर, दूषण, इयादि । ऋ, र, ष और न के बीच में कोई स्वर, कवरी, परवगे् ्नुखार, य, व, ह च्वि तोभी नका णदो जाता है; जैसे, पण, भवणु, प्रमाण, इयादि । अपवाद--दुर उपसगे के वादन आये तो परिवतेन नहीं होता; जेसे, दुनोम, दुर्नीति, दुनिवार, इत्यादि 1 (र) यदि न के साथ टवगे के किसी वर्ण का संयोग हो तो न का ण्‌ दो जाता है, जेस--कण्टक, कण्ठ, दरड, विषण्ण, इत्यादि । नौट--ये नियम केवल विशुद्ध संस्कृत शब्दों के लिये हैं 1 अन्य किसी मापा के शब्दो मे ण का प्रयोग नदीं होता; जैसे, - ट्रेन, ददरः फंड, बंडल; इत्यादि । % कवग লক) ভা, বা) ঘ ক) चवर्म-च, च्‌, ज, मः, ज \ पथ प, फ थ, भ, म। इसो प्रकार अन्य वगं। कवर्ग, पवग को छोट अम्ब वर्गो के वर्ण होने से पस्वित्तं व नहीं होता जेसे-- अर्यमा, भस्संना, गजेन इत्यादि ॥




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