रचना - तत्त्व भाग 1 ए सी 824 | Rachna Tatva Vol 1 Ac 824
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रचना-तत्त्त ९
प्रत्युष, प्रत्युष-अमात
भस्ल॒क, मल्दधक माल्
मदुर, मसू स्क प्रकार का अन्न
भे व
২-_লক্সীহ হা
(१) ऋ, र और प के बाद न का ण हो जाता है; जैसे---रुण,
ऋण, भूषर, दूषण, इयादि ।
ऋ, र, ष और न के बीच में कोई स्वर, कवरी, परवगे्
्नुखार, य, व, ह च्वि तोभी नका णदो जाता है; जैसे,
पण, भवणु, प्रमाण, इयादि ।
अपवाद--दुर उपसगे के वादन आये तो परिवतेन नहीं
होता; जेसे, दुनोम, दुर्नीति, दुनिवार, इत्यादि 1
(र) यदि न के साथ टवगे के किसी वर्ण का संयोग हो तो न
का ण् दो जाता है, जेस--कण्टक, कण्ठ, दरड, विषण्ण, इत्यादि ।
नौट--ये नियम केवल विशुद्ध संस्कृत शब्दों के लिये हैं 1 अन्य
किसी मापा के शब्दो मे ण का प्रयोग नदीं होता; जैसे, -
ट्रेन, ददरः फंड, बंडल; इत्यादि ।
% कवग লক) ভা, বা) ঘ ক) चवर्म-च, च्, ज, मः, ज \ पथ
प, फ थ, भ, म। इसो प्रकार अन्य वगं।
कवर्ग, पवग को छोट अम्ब वर्गो के वर्ण होने से पस्वित्तं व नहीं
होता जेसे-- अर्यमा, भस्संना, गजेन इत्यादि ॥
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