कृषि - विज्ञान | Krishi Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
334
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कृषि ओर जलवायु ७
(२) खरोफकोफसल-इन फसलों को जमने में काफी गर्मी की जरूरत
होती है ओर बढ़ने में इन्हें पानी खूब चाहिए। इनमें बान, सार्व, मक्का, ज्वार,
बाजरा, कोदो, मड॒वा, काकुन, तिल, मूंगफली, उर्द, मूंग, ज्वार, अरहर, कपास, सनई,
पटसन, जूट आदि फसलें आती ह । ये फसलें जून-जुलाई से लेकर सितम्बर-अक्टूबर तक
रहती हैं।
(३) जायद को फसल--यह फसल गर्मी के दिनों में उगाई जाती है जब कि
रबी की फसल कट गई होती है और खरीफ कौ फसल बोई नहीं गई होती ।
ये प्रायः नदियों के किनारे रेतीले स्थानों में उगाई जाती हैं । खरबूजा, तरबूज, ककड़ी
आदि फसलें जायद कहलाती हँ। ये अधिक से अधिक गर्मी और लू सहन कर
सकती हैं।
जलवायु पर मानसूनो हवाओं का प्रभाव--किसी स्थान की जलवायू पर
वहाँ चलने वाली मानसूनी हवाओं का काफी प्रभाव पड़ता है। हमारे देश में दो
प्रकार की मानसूनी हवाएँ चलती हूँ :--
१. गर्मी की मानसून तथा
२. जाड़े की मानसून।
गर्मी को मानसून--गर्मी के दिनों में हमारे देश में दो मानसून हवाएं चलती
हैं, एक बंगाल की खाड़ी से और दूसरी अरब सागर से। जो ह॒वा बंगाल की खाड़ी से
उठती' है उसकी दो झाखाएँ हो जाती हैं । एक शाखा क्या की ओर निकल जाती
है और खासी, जयन्तिया आदि पहाड़ियों से टकरा कर वहीं खूब पानी बरसाती है।
चेरापूंजी में यह शाखा अधिक पानी बरसाती हैँ। दूसरी शाखा सीधे हिमालय की
ओर बढ़ती है और हिमालय से टकरा कर आसाम और बंगाल में काफी पानी बरसा
देती है। फिर यह यहाँ से बिहार, उत्तर प्रदेश और पंजाब की ओर बढ़ जाती है।
यह शाखा ज्यों-ज्यों पश्चिम की ओर बढ़ती है, पानी की मात्रा कम होती जाती है।
यहाँ तक कि पंजाब और राजपूताने तक पहुँचते-पहुँचते बहुत कम पानी रह जाता है।
अरब सागर से उठी दूसरी मानसून हवा हमारे देश के दक्षिण-पश्चिम भाग
पर स्थित पश्चिमी घाट से टकराती है और वहीं महाबलेश्वर में खूब पानी बरसाती
है। आगे बढ़ने पर इसकी पानी बरसाने वाली शक्ति क्रमश: क्षीण होती जाती है और
विन्ध्याचखं तथा सतपुड़ा तक पहुँच कर यह केवल वर्ष में २५ इंच ही पानी बरसा
सकती है। यह मानसून सी्ध हिमालय तक चली जाती है पर विन्ध्याचल से आगे
बढ़ने पर यह नाम मात्र को ही पानी देती हैं। यही कारण है कि राजपृताना तथा पंजाब
इस' मानसून से बिल्कुल ही पानी नहीं पाते। यह मानसून जून से शुरू होकर सितम्बर-
अक्टूबर तक रहती है।
जाड़ को मानसून--इस मानसून को उत्तरी-पूर्वीं मानसून भी कहते हं । यह
जाड़े के दिनों में चलती है और मद्रास में काफी पानी बरसाती है। कभी-कभी इस
मानसून से उत्तर प्रदेश में भी इन्हीं दिनों में वर्षा हो जाती है जिससे रबी की फसलों
को काफी लाभ होता है।
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