यजुर्वेद - संहिता वोल. २ | Yajuwerad Snahita Vol Ii

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Book Image : यजुर्वेद - संहिता वोल. २  - Yajuwerad Snahita Vol Ii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४) ছ্ধলভঘ । (४७) यम श्श्य म पित्तरो की स्वघा का रहस्य । (४६) समान सौर एक चित्त वाले जीवों की लक्ष्मी को अपने में प्राप्त करने की इच्छा (४६) मर्त्यों और देवों के दो मार्ग । छान्‍्दोग्य भोक्त तीन मार्गौ का विवे खन । ( ४८ ) देह में सन्तानोत्पादक दश प्राण युक्त वीयं कौ प्रार्थना । अप्नि स्वरूप पति । राष्ट्र पक्ष में दशवीर नायकों से युक्त सन्‍य और नायक का वर्णन । (४९ ) अवर, पर और मध्यम पितरों का वर्णन । (५० ) आजिरस, नवस्व, अथवे, और सोभ्य, पितरों अर्थात्‌ पालको का वर्मन, उनका रहस्य । ( ५१ ) वसिष्ट पितरों का वर्गन और उनका रहस्य । ( ४२-७४ ) उनके मुख्य नायक सोम, राजा । ( ५५-५६ ) बर्हिषद पिनरो ओर सुविदत्र पितरों का वणन ओौर उनका रहस्य । पिठ जर्ना को आदर से बुलाना और उनसे रक्षा की प्रार्थना । (५८) अभिष्वात्त पित्तरों का वर्णन। डनके देवयान मार्ग और उनकी स्वधा से तृप्ति का रहस्य | (७५०) टनके स्ववीर राय का रहस्य । ( ६० ) उनकी असुनीति तनु की कल्पना का रहस्प । अभिष्वात्त, ऋतुमान्‌ सोमपायी विप्रो का वणेन । ( ६२ ) उक्‌ पारुक जनां का सभ्यता पूवक भासन पर विराजना। ( ६३) शाक ज्मो का देश्यं दान्‌ । उसका विविध रहस्य । ( ६५ ) उसका पितृ जनों से सम्बन्ध । (६६ ) उसका पितृ जनों का उत्तम पुटि कारक अनना का दान । (६७) विद्वानों ओर रेश्वयंवान्‌ का पालक पुरूषो ढे সনি कर्तष्य । ( ६८ ›) पूवं ओर पर, तथा पृथिवी लोक और प्रजाओं पर अधि- छिव पाक अनं का वणेन । ( ६९ ) ज्ञानोपदेश, ज्ञानवेत्ता पित्तरों का वर्णनं, ( ७० ) कामनावान्‌ पितरों का वणेन । (७० ) सूयं मेष के दृष्टान्त से राजा का शत्रु के प्रति कत्तव्य । (७१ ) अपांफेन से मघुषि के शिर के काटने का रहस्य ! ( ७२ ) अभिपिक्त राजा কা कोष, दल दार विप्-विजय सम्पत्‌ परासि ! अध्याप्मिक मन्युजय আহ মু অহ पान का शस्य । (७३) टस ॐ शृष्टान्त ते अध्यारम मे ज्ञानी के परमानन्द शस का पतन ओर राजा के रेश्वयं के उपभोग का वर्णन । (७४) हस ढे दशान्त




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