यजुर्वेद - संहिता वोल. २ | Yajuwerad Snahita Vol Ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
768
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ছ্ধলভঘ । (४७) यम श्श्य म पित्तरो की स्वघा का रहस्य । (४६) समान
सौर एक चित्त वाले जीवों की लक्ष्मी को अपने में प्राप्त करने की इच्छा
(४६) मर्त्यों और देवों के दो मार्ग । छान््दोग्य भोक्त तीन मार्गौ का विवे
खन । ( ४८ ) देह में सन्तानोत्पादक दश प्राण युक्त वीयं कौ प्रार्थना ।
अप्नि स्वरूप पति । राष्ट्र पक्ष में दशवीर नायकों से युक्त सन्य और नायक
का वर्णन । (४९ ) अवर, पर और मध्यम पितरों का वर्णन । (५० )
आजिरस, नवस्व, अथवे, और सोभ्य, पितरों अर्थात् पालको का वर्मन,
उनका रहस्य । ( ५१ ) वसिष्ट पितरों का वर्गन और उनका रहस्य ।
( ४२-७४ ) उनके मुख्य नायक सोम, राजा । ( ५५-५६ ) बर्हिषद
पिनरो ओर सुविदत्र पितरों का वणन ओौर उनका रहस्य । पिठ जर्ना को
आदर से बुलाना और उनसे रक्षा की प्रार्थना । (५८) अभिष्वात्त पित्तरों का
वर्णन। डनके देवयान मार्ग और उनकी स्वधा से तृप्ति का रहस्य | (७५०)
टनके स्ववीर राय का रहस्य । ( ६० ) उनकी असुनीति तनु की कल्पना
का रहस्प । अभिष्वात्त, ऋतुमान् सोमपायी विप्रो का वणेन । ( ६२ )
उक् पारुक जनां का सभ्यता पूवक भासन पर विराजना। ( ६३)
शाक ज्मो का देश्यं दान् । उसका विविध रहस्य । ( ६५ ) उसका
पितृ जनों से सम्बन्ध । (६६ ) उसका पितृ जनों का उत्तम पुटि कारक
अनना का दान । (६७) विद्वानों ओर रेश्वयंवान् का पालक पुरूषो ढे সনি
कर्तष्य । ( ६८ ›) पूवं ओर पर, तथा पृथिवी लोक और प्रजाओं पर अधि-
छिव पाक अनं का वणेन । ( ६९ ) ज्ञानोपदेश, ज्ञानवेत्ता पित्तरों का
वर्णनं, ( ७० ) कामनावान् पितरों का वणेन । (७० ) सूयं मेष के
दृष्टान्त से राजा का शत्रु के प्रति कत्तव्य । (७१ ) अपांफेन से मघुषि के
शिर के काटने का रहस्य ! ( ७२ ) अभिपिक्त राजा কা कोष, दल दार
विप्-विजय सम्पत् परासि ! अध्याप्मिक मन्युजय আহ মু অহ पान का
शस्य । (७३) टस ॐ शृष्टान्त ते अध्यारम मे ज्ञानी के परमानन्द शस का
पतन ओर राजा के रेश्वयं के उपभोग का वर्णन । (७४) हस ढे दशान्त
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