औधोगिक रुग्णता | Audhogik Rugnta

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Audhogik Rugnta by आशीष कुमार शुक्ल - Ashish Kumar Shuklaराधेश्याम सिंह - Radheshyam Singh

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

आशीष कुमार शुक्ल - Ashish Kumar Shukla

आशीष कुमार शुक्ल - Ashish Kumar Shukla

नाम- आशीष कुमार शुक्ल पुत्र श्री शोभा शंकर शुक्ल एवं श्रीमती हीरावती शुक्ला
जन्म – २१ - अगस्त – १९९०
जन्म स्थान - ग्राम - हरीपुर, पोस्ट- अभियां, जिला- भदोही
(२२१४०४) उत्तर प्रदेश

कार्यरत : (रसायन विभाग) डी.ए.वी. महाविद्यालय,
सेक्टर - १०. चंडीगढ़

आदर्श : प्रोफेसर के. एन. पाठक (पूर्व उप - कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़)

Mobile No.: 9878 53 7472
E-mail - [email protected]

सलाहकार : मयंक भूषण पाण्डेय (डी.ए.वी.चंडीगढ़)

वह अपने दादा पंडित श्री चंद्रबली शुक्ल के साथ सदैव धार्मिक कहानी सुनकर समय व्यतित करते थे| कवि जी इस समय डीएवी महाविद्यालय, चंडीगढ़ में कार्यरत हैं। वह अपना आदर्श 

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राधेश्याम सिंह - Radheshyam Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 बुन्देलखण्ड क्षेत्र के मिर्जापुर व सोनभद्र जिलो मे पायी जाती है। इसमे नाइट्रोजन, जीवाश, फास्फोरस तथा चूने की मात्रा की कमी है। अत यहाँ गेहूँ चना तथा दाले उगाई जाती है। मृदा अपरदन : जल के बहाव से अथवा वायु के वेग से अथवा हिमपात एव हिम पिघलने के फलस्वरूप एक स्थान विशेष की मिट्टी के अन्य स्थान पर चले जाने पर मृदा अपरदन कहा जाता है। प्रदेश के विभिन्‍न भागो मे परत अपरदन पाया जाता है। इसको रोकने कं लिए प्रदेश के सभी भागो मे वृहद पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए । इसके साथ-साथ उपयुक्त भूमि उपयोग, पर्वतीय क्षेत्र की सीढीदार खेती,बाढ वाली नदियों पर बोध का निर्माण तथा पशुचारागाहो का निर्माण आदि किया जाना चाहिए । वानिकी : उत्तर प्रदेश के अधिकांश वन तराई तथा भावर क्षेत्र मे पाए जाते है। राष्ट्रीय वन नीति क॑ अनुसार भौगोलिक क्षेत्र के 33 3% भूभाग पर वन होना चाहिए। वर्तमान मे प्रदेशमे वनो से लगभग 19259 वर्ग कि०्मी० भूमि आच्छादित हे। प्रदेश मे तीन प्रकार के वन पाए जाते है (1) ऊष्णकटिबन्धीय नम पर्णपाती वन प्रदेश की तराई व भावर क्षेत्रों मे जहॉ वर्षा का औसत 100 से 150 से०्मी० है, नम पर्णपाती वन पाए जाते है। इसमे वृक्ष झाडियाँ, बॉस के झुरमुट, साल, बेर, गूलर, पलाश तथा महुआ आदि उल्लेखनीय है| (2) ऊष्ण कटिबन्धीय शुष्क पर्णपाती वन ` प्रदेश के पूर्वं मध्य एव पश्चिमी मेदानो मे इन वनो का विस्तार हे | प्रमुख वृक्षो मे साल, पलाश, अमलताश, बेल. अजीर आदि हे। नदी के किनारे पर नीम, पीपल, शीशम, आम, महुआ तथा जामुन आदि उल्लेखनीय है |




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