पौ फटने से पहले | pau phatane se pahale

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pau phatane se pahale by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. जब तुम्हें प्राण, छता, देह के भीतर कहीं द ভুলা अगोचर ! लाज में लिपटीं | षां उतर नभ से कल्पना के खोलतीं उर में दिगंतर, भाव वेभव से प्रसन्न वसंत करता रंग रुचि मुकुलित ग दिगंत विषण्ण पतञ्लर! स्वगं के खुलत सरोखे निनिमेष, ` ` . अशेष दिखता चेतना-मृख,




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