हिन्दू संस्कृति और साहित्य की प्रस्तावना | Hindi Sahitya Aur Sanskrit Ki Prastawana

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दू संस्कृति की. प्रस्तावना' द् था हैं, जिन्हें _मालारूप में वह अपने गले में धारण करते हैं । कक ३ संस कक च््द क्र हा ?. पीताम्वर हे हर (२) संसार की 'दो सबसे बड़ी शक्तियों क्ष्सी च््पर का सरश्वती 4 ७. थह्ठ क्ती ७३/ चर की कि ? और सरस्वती ( ज्ञान ) इनकी गरृदद देवियाँ हैं । ४ की इशारे पर ये दाना जगत में अपना चृत्य दिखलाती है | लक्ष्मी कमलबन में निवास करती है और मत्त हाथी इनकी सेवा करते हैं। उल्दू इनका वाहन है । इसका थ्र्थ है कि धन से विलासिता वर गौरव की बृद्धि होती है ।. हाथी या बड़ी बड़ी मोटरों से इसका महत्व प्रकट होता है। जिसने घन एकत्र करना अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया वह टिवान्ध उर्तय है। वह ज्ञान अथवा सत्कर्म के आलोक को सहन नहीं कर सकता । ये क्षीरसागरकन्यका हैं अर्थात सासुद्रिक व्यापार से अचुर धन की आप. होती है । सरस्त्रती के हाथ में वीणा पुस्तक और स्फटिक की माला है । वीणा (३) अनन्तपादं वहुद्दस्तनेत्रमनन्तक्ण ककुभौघवखम्‌ । नूर्सिदस्तुतिः रकन्द० विष्णुखण्ड अध्याय १६.४४. (४) विश्त्सरस्वतीं चत्ते सर्वज्ञो.सिनसोडस्तुते ! लक्षीवान्‌ अस्यतों छ्ष्मीं विश्रद्वक्षसि 'चानघ ॥ घ्रद्ा० 9 २२,७१४. चामपरबंगता लक्ष्मीरादिलिटरा प्पाणिना । चलकीवादन परा भगवन्मुखकोचना ॥ स्कन्दू० वि० १०.३४ करललएड ध० किट, 1; एव ऐ०, एर्पा ५ 5धघाव5एथाीं दीप , (०,प्रघा उरघ0 इकक5 पााण ६15 ०09ए0घ51%४ उ्त/0एप60 पिहाट पिंधा: उ3घाघ5छ81 35 ६0 96 1002- 56 5 150 50ा९ि116$ 00घ9- नए घु०0 25 न. अघाटघिं 0 58ाएड, प्त॑७66 1.5; 3दाघ5एघं -0थंए6७४ 85 ६ 3र्धाघिं एप छडाए, * आते एकांत घाष6 11 1तप्रपतिपिहत भराधि छि€ 006 6, प्ाचतप द८०००४१घफ/फि, 0. उ, ए८. 28. ह. उतक,




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